'बहुरानी' को कोर्ट ने भेजा उम्र भर के लिए जेल...ससुर के साथ किया था ये घिनौना खेल, एक क्लिक जानें पूरा मामला...
सजा पाने वाले आरोपियों में वृद्ध की पुत्रवधू सोनू कुमारी के साथ उसके साथी सुनील कुमार, दीपेंद्र कुमार और प्रदीप कुमार शामिल हैं।
झुंझुनूं में आठ साल पहले हुई वृद्ध की हत्या के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए उसकी पुत्रवधू समेत 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वृद्ध की हत्या उसकी पुत्रवधू ने इसलिए की थी, क्योंकि वह उसके प्रेम संबंधों के आड़े आ रहा था। झुंझुनूं कोर्ट ने इस मामले में चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और उन पर 20-20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सजा पाने वाले आरोपियों में वृद्ध की पुत्रवधू सोनू कुमारी के साथ उसके साथी सुनील कुमार, दीपेंद्र कुमार और प्रदीप कुमार शामिल हैं। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 40 गवाह और 191 दस्तावेज पेश किए गए। लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने बताया कि 15 जुलाई 2016 को कुल्हारियों की ढाणी निवासी सोहनलाल जाट ने इस संबंध में बिसाऊ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि उसका चचेरा भाई सुभाषचंद्र डाकघर में अल्प बचत एजेंट था। वह रोजाना सुबह 11 बजे बिसाऊ चला जाता था। वह दिन में घर-घर जाकर आरडी का पैसा इकट्ठा करता था और रात 10:30 बजे घर लौटता था। 14 जुलाई को सुभाष बस से उतरकर घर आ रहा था। उस समय सड़क पर नीली बत्ती लगी एक कार खड़ी थी।
पीटा और गला घोंट दिया
बस से उतरे दो लोगों ने सुभाष को पकड़ लिया और जबरन कार में डाल लिया। इसके बाद उन्होंने सुभाष के साथ मारपीट की और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि बहू सोनू कुमारी ने अपने प्रेम संबंध में बाधा बन रहे ससुर सुभाष चंद्र की हत्या अपने दोस्तों से करवाई थी। इस पर पुलिस ने मृतक की बहू सोनू और सुनील के साथ ही दीपेंद्र को भी उसी समय गिरफ्तार कर लिया। इनके साथ एक नाबालिग अपराधी को हिरासत में लिया गया। बाद में वारिसपुरा निवासी प्रदीप को गिरफ्तार किया गया। 40 गवाहों के बयान दर्ज हुए और 191 दस्तावेज पेश किए गए।
चारों आरोपियों को दोषी करार
पुलिस ने मामले की जांच पूरी कर आरोपी सोनू कुमारी, सुनील कुमार, दीपेंद्र कुमार उर्फ मीकू और प्रदीप कुमार के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा और पीड़िता की ओर से अधिवक्ता सुभाष पूनिया ने कोर्ट में 40 गवाहों के बयान दर्ज किए और 191 दस्तावेज पेश किए। सुनवाई के दौरान पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों का विश्लेषण करने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपा गुर्जर ने चारों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।