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16 माह की बच्ची के फेफड़ों में जमा 9 डिब्बा पानी...डॉक्टरों के उड़े होश, नहीं देखी ऐसी दुर्लभ बीमारी

फेफड़ों में लिपिड जमा होने से सांस लेने में दिक्कत फेफड़ों में लिपिड जमा होने से बच्ची को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिससे फेफड़ों की कार्यप्रणाली लगभग खत्म हो गई थी।

16 माह की बच्ची के फेफड़ों में जमा 9 डिब्बा पानी...डॉक्टरों के उड़े होश, नहीं देखी ऐसी दुर्लभ बीमारी

जोधपुर एम्स के डॉक्टरों ने 16 माह की बच्ची का दुर्लभ तरीके से इलाज कर उसे जीवन दिया। बच्ची दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस और नीमन पिक डिजीज टाइप सी1 से पीड़ित थी, जिसमें फेफड़े, लीवर, मस्तिष्क, प्लीहा और अस्थि मज्जा जैसे अंगों में लिपिड जमा हो जाते हैं, जिससे इन अंगों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।

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फेफड़ों में लिपिड जमा होने से सांस लेने में दिक्कत फेफड़ों में लिपिड जमा होने से बच्ची को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिससे फेफड़ों की कार्यप्रणाली लगभग खत्म हो गई थी। परिजन उसे जोधपुर एम्स लेकर आए, जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। एम्स के पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी विभाग ने इलाज शुरू किया और बच्ची के फेफड़ों में जमा लिपिड को निकालने के लिए 9 कैन पानी डाला। नौ घंटे चली जटिल प्रक्रिया के बाद मिली सफलता इसके बाद बच्ची को धीरे-धीरे ऑक्सीजन सपोर्ट से हटाया गया, जो उसके ठीक होने का बड़ा संकेत था। स्वास्थ्य में सुधार के बाद बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

विशेषज्ञ टीम ने किया ऑपरेशन

एम्स प्रशासन के अनुसार, बच्चों में फेफड़ों की सफाई की इस तरह की प्रक्रिया पूरे भारत में कुछ खास संस्थानों में ही सफलतापूर्वक की जाती है। यह प्रक्रिया डॉ. जगदीश गोयल और प्रवीण कुमार के नेतृत्व में बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने की। इसमें डॉ. कल्याण, डॉ. सत्या, डॉ. स्नेह, डॉ. महेश, डॉ. वैष्णवी, डॉ. रेवती, डॉ. फिरनास, डॉ. आदर्श और नर्सिंग स्टाफ रेशमा राम और हरिओम ने अहम भूमिका निभाई। बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि एम्स की बाल रोग पल्मोनोलॉजी टीम सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसे दुर्लभ विकारों के उपचार में भी बेहतरीन सेवाएं देती है।