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जयपुर में गर्भाधान संस्कार कार्यशाला, वैदिक संस्कृति की वैज्ञानिक दृष्टि पर चर्चा

जयपुर में एस.एम.एस मेडिकल कॉलेज में आयोजित गर्भाधान संस्कार कार्यशाला में गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. हितेश जानी ने भारतीय वैदिक संस्कृति के गर्भाधान संस्कार की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्ता पर प्रकाश डाला। 

जयपुर में गर्भाधान संस्कार कार्यशाला, वैदिक संस्कृति की वैज्ञानिक दृष्टि पर चर्चा

जयपुर में रविवार को भारतीय अभ्युत्थान समिति द्वारा एस.एम.एस मेडिकल कॉलेज में गर्भाधान संस्कार कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य भारतीय वैदिक संस्कृति के गर्भाधान संस्कार की महत्ता और उसकी वैज्ञानिक दृष्टि को साझा करना था।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. हितेश जानी, जो गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य हैं, ने अपनी व्याख्यान में गर्भाधान संस्कार की गहराई और महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि दिव्य गर्भ संस्कार विज्ञान हमारी वैदिक संस्कृति के संस्कारों का प्राण है। उन्होंने कहा कि दुनिया की प्राचीनतम और सर्वाधिक वैज्ञानिक शिक्षा और चिकित्सा पद्धतियों को काल के कुचक्र और षड्यंत्र द्वारा धीरे-धीरे भुला दिया गया और पुरातन कहकर झुठलाया गया।

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गर्भ संस्कार एक आध्यात्मिक प्रक्रिया

डॉ. जानी ने यह भी उल्लेख किया कि गर्भ संस्कार एक मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें शिशु को गर्भ में रहते हुए जीवन जीने की कला का प्रशिक्षण दिया जाता है। गर्भ संस्कार विज्ञान की मदद से माता-पिता अपने बालक में रूप, गुण, बल, बुद्धि, और विद्या को वैज्ञानिक ढंग से प्रत्यारोपित कर सकते हैं।

पारंपरिक कार्यक्रम की शुरूआत

कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ की गई, जो एक पारंपरिक और आध्यात्मिक शुभारंभ का प्रतीक था। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक और अभ्युत्थान समिति के अध्यक्ष डॉ. रमेश चंद्र अग्रवाल, संघ के वरिष्ठ प्रचारक गुणवंत सिंह, एस.एम.एस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी, और प्रोफेसर डॉ. मोनिका राठौड़ सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कार्यक्रम में विशेष रूप से नवदंपति और चिकित्सकों की भी सहभागिता रही, जो गर्भाधान संस्कार की गहराई और महत्व को समझने में रुचि रखते थे। विवेक गुप्ता ने बताया कि इस आयोजन ने सभी को गर्भाधान संस्कार की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से परिचित कराया।

कार्यक्रम का समापन सभी के लिए मंगल कामना के साथ हुआ। डॉ. रमेश चंद्र अग्रवाल ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद व्यक्त किया और इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।