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जजों की लंबी छुट्टियों पर बहस के बीच SC का नया नियम लागू, छुट्टियों पर भी लगी लिमिट

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी छुट्टियों की व्यवस्था में बदलाव करते हुए गर्मियों की छुट्टियों को अब "आंशिक न्यायालय कार्य दिवस" का नाम दिया है। इसके साथ ही 'वेकेशन जज' पदनाम को हटाकर केवल 'जज' का पदनाम ही उपयोग किया जाएगा। इस फैसले का उद्देश्य न्यायाधीशों की कार्य संस्कृति और उनके समर्पण को रेखांकित करना है।

जजों की लंबी छुट्टियों पर बहस के बीच SC का नया नियम लागू, छुट्टियों पर भी लगी लिमिट

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी छुट्टियों की व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे अब गर्मी की छुट्टियों को एक नई पहचान मिली है। हाल ही में जारी किए गए एक नोटिफिकेशन के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों को अब 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' के रूप में जाना जाएगा। इस बदलाव के साथ ही, 'वेकेशन जज' का पदनाम भी समाप्त कर दिया गया है, और उन्हें अब सिर्फ 'जज' के रूप में संबोधित किया जाएगा। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट (दूसरा संशोधन) नियम 2024 का हिस्सा है, जिसे 5 नवंबर 2024 को अधिसूचित किया गया।

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जज की छुट्टियों के लिए बदले नियम

इस नये नियम के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां अब 95 दिनों से अधिक नहीं होंगी, और चीफ जस्टिस इन छुट्टियों की अवधि और कोर्ट के कार्यालयों की छुट्टियां तय करेंगे। इन छुट्टियों की सूची आधिकारिक गजट में प्रकाशित की जाएगी। इसके तहत, चीफ जस्टिस किसी भी महत्वपूर्ण या आपातकालीन मामले की सुनवाई के लिए एक या अधिक जजों की नियुक्ति कर सकते हैं। चीफ जस्टिस के पास यह अधिकार रहेगा कि वे किसी भी आवश्यक नियमित मामले के लिए भी जजों का चयन कर सकें।

जजों के लिए पदनाम भी समाप्त

पुरानी व्यवस्था के अनुसार, हर साल गर्मी और सर्दी की छुट्टियों में चीफ जस्टिस आवश्यक मामलों के लिए एक अवकाशकालीन पीठ की स्थापना करते थे, लेकिन इस पदनाम को अब समाप्त कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के 2025 कैलेंडर के अनुसार, 'आंशिक अदालती कार्य दिवस' 26 मई 2025 से 14 जुलाई 2025 तक चलेंगे।

जज छुट्टियों में भी करते हैं कार्य

इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ पहले भी अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जज छुट्टियों के दौरान भी पूरी निष्ठा से अपने कार्य में समर्पित रहते हैं और वे इधर-उधर घूमने या मौज-मस्ती करने के बजाय कानूनी कार्यों में संलग्न रहते हैं। चीफ जस्टिस के अनुसार, जज वीकेंड में भी हाई कोर्ट का दौरा करते हैं या कानूनी सहायता से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इस संदर्भ में, मई 2024 में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने भी इस बात पर जोर दिया था कि जजों को वीकेंड पर भी कोई विश्राम नहीं मिलता।