भाई दूज पर इन राजस्थान के मंदिरों में उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़, जानें खास बातें
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाने का दिन है। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। राजस्थान के कुछ प्रमुख मंदिरों में इस दिन विशेष भीड़ उमड़ती है, जहां श्रद्धालु भाई दूज के अवसर पर आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं।
भाई दूज, जो भाई-बहन के अटूट स्नेह और प्रेम का प्रतीक है, हर साल पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पवित्र त्योहार पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
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भाई दूज का यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस साल, यह त्योहार रविवार, 3 नवंबर को मनाया जाएगा। भाई दूज के इस शुभ अवसर पर राजस्थान के तीन प्रमुख मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। आइए इन मंदिरों के बारे में जानते हैं:
अचलनाथ मंदिर (जोधपुर):
जोधपुर में स्थित अचलनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर सदियों पुरानी आस्थाओं और परंपराओं का प्रतीक है। यहां शिवलिंग के पास एक खास जल भंडार है, जिसे 'गंगा बावरी' कहा जाता है। भाई दूज के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर का निर्माण राव राजा गांगा ने संवत 1531 में करवाया था, और यह जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग के तलहटी में स्थित है।
जीण माता और हर्ष भैरव मंदिर (सीकर):
सीकर जिले में स्थित यह मंदिर राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां मां जीण देवी और हर्ष भैरव का वास है। भाई दूज पर यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ होती है। लोक मान्यता के अनुसार, जीण माता और हर्ष भैरव की पौराणिक कथा इस मंदिर से जुड़ी है, जिसमें भाई-बहन के गहरे संबंधों को दर्शाया गया है। इस मंदिर की नींव राजा सिंधराज ने संवत 1018 में रखी थी।
बीबीरानी माता मंदिर (अलवर):
भाई दूज के पावन अवसर पर अलवर का बीबीरानी माता मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां के तालाब में स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। यह मंदिर भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है, और यहां भक्तजन माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।