कैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन बना टीचर्स डे, जानें इस दिन का इतिहास और महत्व
टीचर्स डे, जो हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है, भारत में शिक्षकों और उनके योगदान को सम्मानित करने का खास दिन है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है, जो भारत के पहले उपराष्ट्रपति और एक महान शिक्षक थे।
टीचर्स डे, जो कि हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है, भारत में शिक्षक और उनके योगदान को सम्मानित करने का खास दिन है। इस दिन को Dr. Sarvepalli Radhakrishnan की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जो भारत के पहले उपराष्ट्रपति और एक महान शिक्षक थे।
टीचर्स डे पर छात्र अपने शिक्षकों को गिफ्ट्स, कार्ड्स, और विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से धन्यवाद और सम्मान प्रकट करते हैं। यह दिन शिक्षकों की मेहनत और समर्पण को सराहने का एक अवसर होता है, जो बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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तमिलनाडु में जन्म लेने वाले डॉ. राधाकृष्णन ने अपने अध्ययन और सुविचारों के जरिए न केवल भारतीय फिलॉसफी को नया आयाम दिया, बल्कि पश्चिमी दुनिया में भी भारतीय संस्कृति और फिलॉसफी की छाप छोड़ दी थी। उनके सम्मान में ही पूरे भारत में उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कौन थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान भारतीय फिलोसोफर, एजुकेशनिस्ट (शिक्षक) और राजनेता थे। वह भारतीय शिक्षा प्रणाली के सुधारक व भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तनी गांव में हुआ था। वह एक साधारण परिवार से थे, लेकिन उनकी शिक्षा और विचारों ने उनको महान विद्वान और शिक्षक बना दिया। उन्होंने देश की सेवा की और इस पद पर रहते हुए कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
कैसे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन बना टीचर्स डे
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। जब वह भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ पूर्व छात्रों ने उनके जन्मदिन को मनाने के लिए उनसे संपर्क किया। लेकिन उन्होंने इस पर कहा, 'मेरे जन्मदिन को मनाने के बजाय, यह मेरा सौभाग्य होगा यदि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए।' इसके बाद से ही पूरे भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।