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आस्था या अंधविश्वास: धधकते अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरे श्रद्धालु... कारण जान आप भी चौक जाएंगे!

देवनारायण मंदिर के थानक चबूतरे पर लालबाई माताजी, कालेश्वर महाराज, कालका माताजी, ज्वाला माताजी और खोड़िया महाराज के घोड़े 11 हाथ लंबे और दो फीट चौड़े घेरे में जलते अंगारों और लपटों के ऊपर से गुजरे तो श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाने शुरू कर दिए।

आस्था या अंधविश्वास: धधकते अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरे श्रद्धालु... कारण जान आप भी चौक जाएंगे!

झालावाड़ जिले के कई इलाकों में शारदीय नवरात्रि की नवमी पर माताजी की शोभायात्रा जलते अंगारों पर नंगे पैर चलती नजर आई। शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे देवनारायण मंदिर पर भक्ति और आस्था से ओतप्रोत लोगों ने जयकारे लगाए। घोड़ों के एक हाथ में नंगी तलवार और दूसरे हाथ में खोपड़ी थी। घोड़ों की पूजा की गई और आरती की गई। देवनारायण मंदिर के थानक चबूतरे पर लालबाई माताजी, कालेश्वर महाराज, कालका माताजी, ज्वाला माताजी और खोड़िया महाराज के घोड़े 11 हाथ लंबे और दो फीट चौड़े घेरे में जलते अंगारों और लपटों के ऊपर से गुजरे तो श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाने शुरू कर दिए।

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शुक्रवार दोपहर करीब डेढ़ बजे आकोदिया रोड पर वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार लालबाई माता थानक पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्ति और श्रद्धा से भरे लोगों ने जलते अंगारों पर नंगे पैर चलती माताजी की शोभायात्रा देखी। माताजी की शोभायात्रा के घोड़े दोपहर 1.30 बजे लालबाई माताजी के थानक से ढोल-नगाड़ों और झांझ-मंजीरों के साथ निकले।

एक हाथ में नंगी तलवार और दूसरे हाथ में खोपड़ी

लालबाई माताजी, चामुंडा माताजी, दूधाखेड़ी माताजी, दुर्गा माताजी, कालका माताजी के घोड़े एक हाथ में नंगी तलवार और दूसरे हाथ में खोपड़ी थामे हुए थे। घोड़ों की पूजा की गई और आरती की गई। दोपहर करीब 1.30 बजे जैसे ही लालबाई माताजी, चामुंडा माताजी, दूधाखेड़ी माताजी, दुर्गा माताजी, कालका माताजी के घोड़े लालबाई माताजी के मंदिर में बने चबूतरे पर जलते अंगारों (चूल्हे) और लपटों के बीच से गुजरे तो भक्तों ने जयकारे लगाना शुरू कर दिया। 

रिपोर्ट अनीश आलम