Rajasthan News: डांगा के बयान पर बेनीवाल का पलटवार, खींवसर में सियासी तूफान, पढ़ें पूरी खबर
राजस्थान उपचुनाव के बाद हनुमान बेनीवाल और रेवंत डांगा के बीच तीखी नोकझोंक। डांगा के बयान पर बेनीवाल ने दिया करारा जवाब। जानिए क्या है पूरा मामला।
राजस्थान में जबसे उपचुनाव के परिणाम सामने आये हैं। तबसे सियासी पारा हाई है। विधायक बनने के बाद रेवंत डांगा,डीसी बैरवा सहित 5 विधायकों ने राजस्थान विधानसभा में शपथ ली। इस दौरान सबकी नजरें खींवसर किंग का किला भेदने वाले रेवंत डांगा पर रहीं। उन्होंने शपथ लेने के बाद मीडिया से बातचीत भी की। डांगा ने कहा, जिस जनता ने उन्हें प्यार दिया, जमीन से उठाकर आसमान पर पहुंचाया लेकिन एक हार के बाद वह उन्हें ही दगा देने वाले बताने लगे। रेवंत के इस बयान पर अब हनुमान बेनीवाल ने प्रतिक्रिया दी है।
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रेवंत के बयान पर बेनीवाल भड़के
हनुमान बेनीवाल ने भारत रफ्तार के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए कहा, ये भी मत भूलो कि दो बार सरपंच हारे हुए व्यक्ति को मंडल में पैदल घूम-घूम कर जिताया और फिर उसको प्रधान बनाने वाले भी ओछी मानसिकता के लोग थे । ओर ये भी ध्यान रखना कही हमारी विधायकी के चक्कर में आपकी राजनीति खत्म न हो जाए तो बताना । दरअसल, मीडिया के प्रश्नों का जवाब देते हुए डांगा ने कहा था कि 15 सालों से खींवसर का विकास नहीं हुआ। आज भी बिजली-पानी के लिए लोग परेशान है। बीजेपी सरकार आने से लोगों का चौमुखी विकास होगा। इस दौरान डांगा ने ये भी कहा, ओछी मानसिकता के लोग से जनता परेशान हो गई थी इसलिए जनता ने उपचुनाव में अपना फैसला सुना दिया।
ये भी मत भूलो कि दो बार सरपंच हारे हुए व्यक्ति को मंडल में पैदल घूम-घूम कर जिताया और फिर उसको प्रधान बनाने वाले भी ओछी मानसिकता के लोग थे । ओर ये भी ध्यान रखना कही हमारी विधायकी के चक्कर में आपकी राजनीति खत्म न हो जाए तो बताना । @DangaRewant https://t.co/NEXi56SVms
— Hanuman Beniwal (Parody) (@HanumanBniwal) December 3, 2024
विधानसभा में अस्तित्व नहीं बचा पाये बेनीवाल
गौरतलब है, उपचुनाव में बीजेपी और आरएलपी आमने-सामने थी। नागौर से सांसद बनने के कारण हनुमान बेनीवाल ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। जिस कारण यहां उपचुनाव हुए। ये चुनाव बेनीवाल के लिए आरपार की लड़ाई जैसा था। उनके सामने विधानसभा में अस्तित्व बचाने में नाकाम रहे। रेवंत डांगा ने बेनीवाल की पत्नी कनिका को 13 हजार वोटों से मात दी थी। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि खींवसर की राजनीति में आगे क्या कुछ होता है।