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Dholpur News: बारिश के चलते बर्बाद हुए 1 दर्जन से अधिक परिवार, बस जो चीज बची है, वो है इनकी जान ! पढ़ें पूरा मामला

धौलपुर जिले के बाड़ी कस्बे में पिछले सप्ताह हुई भारी बारिश के कारण कई जगह जलभराव हो गया है। निचले इलाकों की कई कॉलोनियां पानी में डूब गई हैं। ऐसा ही एक मामला बाड़ी कस्बे के धौलपुर रोड पर तिवरिया हनुमान मंदिर के ठीक सामने स्थित तिलुआ अड्डा के लोगों का है।

Dholpur News: बारिश के चलते बर्बाद हुए 1 दर्जन से अधिक परिवार, बस जो चीज बची है, वो है इनकी जान ! पढ़ें पूरा मामला

राजस्थान में भारी बारिश का कहर अभी भी लगातार जारी है। कहीं गाड़ियां बह रही हैं तो कहीं बह गए इंसान। जानें कितनों ने खो दिए अपने परिवार और कितने हुए बेखर। बारिश की वजह से सभी का जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। वहीं ताजा मामला धौलपुर जिले के बाड़ी कस्बे का है। जहां पर बारिश के चलते 1 दर्जन से अधिक परिवार बेघर हो गए हैं। प्रशासन ने कुछ दिन तो इनकी मदद की, लेकिन फिर उनको उनके हाल पर ही छोड़ दिया।

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बारिश ने किया सब बर्बाद, बची है सिर्फ जान

पूरा मामला धौलपुर जिले के बाड़ी कस्बे में पिछले सप्ताह हुई भारी बारिश के कारण कई जगह जलभराव हो गया है। निचले इलाकों की कई कॉलोनियां पानी में डूब गई हैं। ऐसा ही एक मामला बाड़ी कस्बे के धौलपुर रोड पर तिवरिया हनुमान मंदिर के ठीक सामने स्थित तिलुआ अड्डा के लोगों का है। बारिश की वजह से एक दर्जन से ज्यादा परिवार प्रभावित हुए हैं। इन परिवारों का सबकुछ बारिश की वजह से बर्बाद हो गया है। बस जो चीज बची है, वो है इनकी जान।

प्रशासन ने भी झाड़ा अपना पल्ला

ऐसे में ये परिवार लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनके घरों तक जाने वाला रास्ता बंद है और ये रहने के लिए इधर-उधर भटकते नजर आ रहे हैं। हालांकि पहले इन्हें सरकारी स्कूल में ठहराया गया था और खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया था। लेकिन ये सिर्फ चार-पांच दिन ही चल पाया। इसके बाद इन्हें इनके हाल पर छोड़ दिया गया।

सरकारी स्कूल में रहने की व्वस्था

नगर पालिका बाडी के वार्ड नं. 1 तिलुआ का अड्डा निवासी ओमवती पत्नी राकेश कोली, रामभरोसी पुत्र कप्तान गुर्जर, गीता, रेणु आदि ने बताया कि 10 दिन पूर्व हुई तेज बारिश में उनके कच्चे मकान ढह गए। लोगों की मदद से उन्होंने जान बचाई और प्रशासन से मदद मांगी। उपखंड अधिकारी राधेश्याम मीना, तहसीलदार मोहम्मद हनीफ खान, हल्का पटवारी सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्हें पास के सरकारी स्कूल में रुकवाया गया। जहां भोजन-पानी की भी व्यवस्था की गई। साथ ही गांव की सड़क की मरम्मत के लिए 300 ट्रॉली मिट्टी डालने के निर्देश भी दिए गए।

कुछ दिन बात मदद के लिए सभी गायब

उन्होंने बताया कि दो-तीन दिन तक उन्हें खाना-पानी मिला। एक-दो एनजीओ भी मौके पर आए और मदद की। लेकिन बाद में वे सभी गायब हो गए। अब स्थिति यह है कि उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया है और उन्हें खुद के हाल पर छोड़ दिया गया है। ऐसे में वे ढह चुके घरों में रहने को मजबूर हैं और खुले आसमान के नीचे अपनी रातें गुजार रहे हैं।

रिपोर्ट – राहुल शर्मा