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मेहरानगढ़ किले से दिखता है पूरा पाकिस्तान, इस भ्रम में हजारों टूरिस्ट पहुंचते हैं हर साल

मेहरानगढ़ किले को लेकर कहा जाता है कि यहां से पूरा पाकिस्तान देखा जा सकता है। लेकिन क्या ये सच है? इसी तथ्य के आधार पर सालभर में हजारों टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं, लेकिन क्या है इस किले की सच्चाई? इसके साथ ही इसका इतिहास भी काफी गौरवशाली है।

मेहरानगढ़ किले से दिखता है पूरा पाकिस्तान, इस भ्रम में हजारों टूरिस्ट पहुंचते हैं हर साल
जोधपुर शहर का मेहरानगढ़ किला

रजवाड़ों का राज्य कहा जाने वाला राजस्थान अपनी मेहमान नवाजी के साथ ही राजघरानों के लिए जाना जाता है। यहां कई मशहूर किले राजशाही की गवाही देते हैं। लेकिन आज आपको राजस्थान के जोधपुर शहर के बिल्कुल बीचों-बीच बसे मेहरानगढ़ दुर्ग या मेहरानगढ़ फोर्ट के बारे में बताने जा रहे हैं। ‘मेहरान’ का अर्थ सूर्य होता है, राठौड़ों ने अपने मुख्य देवता सूर्य के नाम पर मेहरानगढ़ किले का नाम रखा है। इस किले के बारे में भ्रम हैं कि यहां से पूरा पाकिस्तान दिखता है।

मेहरानगढ़ किले का इतिहास

जोधपुर शहर में स्थित इस किले की नींव जोधपुर के 15वें शासक राव जोधा ने मई 1459 में रखी थी। इसके बाद महाराज जसवंत सिंह ने 1638 में 1678 के बीच में इस किले का काम निर्माण पूरा कराया था। किले की नींव रखने वाले राव जोधा की मां चामुंडा में काफी आस्था थी, इसलिए उन्होंने 1460 में किले के पास ही मां चामुंडा का एक मंदिर भी बनवाया था। मौजूदा समय में भी नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भव्य पूजा-अर्चना की जाती है।

इस किले का निर्माण सुरक्षा को ध्यान में रखकर कराया गया था। राव जोधा को मंडोर का किला सुरक्षित नहीं लगा। इसलिए उन्होंने अपने तत्कालीन किले से एक किलोमीटर दूर पहाड़ी पर एक किला बनवाने की सोची। उस समय, इस पहाड़ी को 'भोर चिड़ियाटूंक' के नाम से जाना जाता था, इसका कारण था कि वहां काफी संख्या में पक्षी रहते थे। इस किले पर 6 हमले हुए। राव बीका, शेरशाह सूरी, अकबर, औरंगजेब, सवाई जयसिंह और जगत सिंह ने हमले किए। लेकिन इस किले को भेद न सके।

मेहरानगढ़ किले का संरचना

मेहरानगढ़ का ये किला राजस्थान के सबसे पुराने किलों में से एक माना जात है। ये किला पहाड़ी से 124 मीटर की ऊंचाई पर है। किले में कुल 5 द्वार हैं। इसी के साथ ही 10 किलोमीटर लंबी दीवार किले को घेरे हुए है। किले के अंदर कई शानदार महल हैं, जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल और सिलेह खाना के साथ कई और महल भी शामिल हैं।  

मेहरानगढ़ किले से नहीं दिखता है पाकिस्तान

पिछले लंबे समय से मीडिया चैनल्स से लेकर अन्य माध्यमों से ये अफवाह रही है कि मेहरानगढ़ किले से पूरा पाकिस्तान दिखता है। हालांकि ये जानकारी सही नहीं है। मानव नेत्र की एक सीमित देखने की क्षमता है। मेहरानगढ़ किले से पाकिस्तान की दूरी 578 किलोमीटर दूर है। इसलिए राजस्थान के इस खूबसूरत किले से पाकिस्तान नजर आना मुमकिन नहीं है।

आंठवा द्वार माना जाता है रहस्यमय

मेहरानगढ़ के किले में 8 द्वार बताए जाते हैं। जिसमें आंठवा द्वार रहस्यमय बताया जाता है। पहले द्वार पर नुकीली कीलें लगी हुई हैं, जोकि हाथी के हमले से बचने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से लगवाई गई थीं।