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Rajasthan News: क्या है खेजड़ी ? जिसके लिए अनशन पर बैठी अलका देवी, जानें पूरा मामला

राजस्थान में खेजड़ी वृक्षों को बचाने के लिए एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। बीकानेर में 40 दिनों से धरना प्रदर्शन जारी है, जिसके तहत अलका देवी बिश्नोई आमरण अनशन कर रही हैं। सरकार से सख्त कानून बनाने की मांग की जा रही है।

Rajasthan News: क्या है खेजड़ी ? जिसके लिए अनशन पर बैठी अलका देवी, जानें पूरा मामला

राजस्थान में इन दिनों खेजड़ी को बचाने की मुहिम छिड़ी हुई है। गावों से शुरू हुआ आंदोलन अब शहर बीकानेर पहुंच चुका है। 40 दिनों से लगभग 150 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, धरने पर बैठे लोगों की मांग है कि सरकार खेजड़ी को बचाने के लिए उचित कदम उठाए। कहा कि राज्य सरकार वादा तो हमेशा करती है लेकिन उसपर अमल नहीं किया जाता है। जब तक सरकार जरूरी आश्वसन नहीं देती तबतक धरना जारी रहेगा। धरने पर बैठे लोगों का आरोप है सोलर प्लांट लगाने के नाम पर हजारों खेजड़ी के पेड़ काटे जा रहे हैं। वहीं,पेड़ों को बचाने के लिए अलका देवी बिश्नोई आमरण अनशन कर रहे हैं।  

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'जल्द से जल्द सरकार कानून बनाए'

अनशन पर बैठी अलका देवी बिश्नोई ने सरकार से मांग की खेजड़ी वृक्षों को बचाने के लिए सरकार सख्त से सख्त उठाए। वहीं, जबतक इसके लिए सरकार कानून नहीं बनाएगी तबतक अनशन जारी रहेगा। इससे पहले इस मसले पर मुख्यमंत्री को 94 से ज्यादा ज्ञापन भेजे जा चुके हैं हालांकि न तो कोई जवाब दिया गया और न ही कोई कदम उठाया गया। इस मसले पर जीवरक्षा संस्था प्रमुख मोखराम धारणिया ने कहा कि वन्य जीवों को बचाना हमारा कर्तव्य है इसलिए हम आंदोलन कर रहे हैं। अगर किसी को पकड़ा भी जाता है तो आरोपी 100 रुपए देकर बाहर आ जाते हैं। हमारी मांग हैकि सरकार कानून में संशोधन कर अपराध करने वालों को 20 साल की सजा और लाखों के जुर्माने का प्रावधान लाये। 

आखिर क्या है खेजड़ी ?

राजस्थान में खेजड़ी को "कल्पवृक्ष" मानकर पूजा की जाती है। इसे पश्चिमी राजस्थान की जीवनरेखा कहा जाता है क्योंकि इसने इस क्षेत्र के पर्यावरण को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ खेजड़ी के पेड़ इस इलाके के लोगों और पशुओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं, खासकर सांगरी जैसी सब्जियों और चारे के रूप में। हालांकि, हाल के वर्षों में बीकानेर में बेतरतीब ढंग से लगाए जा रहे सोलर प्लांट्स के कारण लाखों खेजड़ी के पेड़ काटे जा चुके हैं, जिससे पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके विरोध में "खेजड़ी बचाओ, पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति" ने 16 अगस्त से आंदोलन शुरू किया है, हालांकि बीकानेर में यह विरोध 39 दिन पहले से ही जारी है।