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Rajasthan By-Election: उपचुनाव में भजनलाल शर्मा-डोटासरा की अग्निपरीक्षा, कहीं पुराना रिकॉर्ड पड़ जाएं भारी ! पढ़ें खबर

राजस्थान में 7 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। किरोड़ी लाल मीणा, गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और भजनलाल शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं का भविष्य इस चुनाव पर टिका है। कौन सी सीट हॉट सीट है और कहां कौन किस पर भारी है?

Rajasthan By-Election: उपचुनाव में भजनलाल शर्मा-डोटासरा की अग्निपरीक्षा, कहीं पुराना रिकॉर्ड पड़ जाएं भारी ! पढ़ें खबर

राजस्थान उपचुनाव में कौन सीट हॉट सीट है, कहां कौन किस पर भारी है। किस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा। ये तस्वीर अब साफ हो चुकी है। बीजेपी भजनलाल सरकार के 10 महीने में किये गये कामकाज के साथ मैदान में है तो दूसरी विधायक से सांसद बने दिग्गज नेताओं के सामने साख बचाने की चुनौती है। कुल मिलाकर सात सीटों पर होने वाला उपचुनाव काफी खास है। इसे बीजेपी के फीडबैक के तौर पर भी देखा जा रहा है कि आने कि जनता प्रदेश सरकार के 10 महीनों के कामकाजों से कितना खुश हैं। वहीं,लगातार हार के बाद अब राजस्थान में उपचुनाव जीतने की जिम्मेदारी सीएम भजनलाल शर्मा के कंधों पर हैं। जहां से भविष्य की रणनीति तय होगी। ये हाल तो था बीजेपी का,वहीं कांग्रेस के सामने भी ये चुनाव प्रतिष्ठा का चुनाव है। जहां लोकसभा चुनावी नतीजों को दोहराने की चुनौती होगी। 

बीते कुछ सालों में उपचुनाव का ट्रेंड बदला है। पहले कहा जाता था जो सत्ता में है। उसे ही उपचुनाव में जीत मिलती है लेकिन बीते कुछ सालों में जनता का मूड उपचुनाव को लेकर बदला है और कई सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। यही वजह रही, इस बार टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी ने कोई जल्दी नहीं दिखाई और स्थानीय नेताओं के कहने पर टिकट बांटे। ज्यादातर टिकट जिताऊ उम्मीदवारों को दिये गये हैं। आलाकमान ने पूरी जिम्मेदारी भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को सौंपी है। 

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दांव पर भजनलाल और मदन राठौर की प्रतिष्ठा 

लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बीजेपी को कई सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद पार्टी को फिर से उसी मुकाम   तक पहुंचाने का जिम्मा भजनलाल शर्मा और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर ने उठाया है। बीजेपी ने दौसा से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन को टिकट दिया है। इससे ये तय है कि पार्टी कोई भी खतरा मोल लेने के मूड में नहीं है। वहीं, किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान में अलग औहदा रखते हैं। भाई का चुनाव उनका सियासी भविष्य भी तय करेगा। ये सीट पर किरोड़ी की अग्निपरीक्षा है। वहीं, खींवसर से चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर तो झुंझुनूं से राजेंद्र राठौड़ पर जीत पर जीत का दारोमदार है। 

साख बचा पाएंगे गोविंद सिंह डोटासरा?

वहीं, कांग्रेस की बात करें तो उपचुनाव में पूर्व सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने टिकट वितरण से खुद को काफी हद तक दूर रखा है। इस बार टिकट प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के इशारे पर बांटे गए हैं। लिहाजा कांग्रेस के उपचुनाव में प्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी डोटासरा के कंधों पर है। ये प्रदेश में उनका सियासी कद भी तय करेंगे। बता दें, लोकसभा चुनाव में जीत का पूरा श्रेय पायलट और डोटासरा को दिया गया था। ऐसे में लगभग पांच सालों से प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाल रहे डोटासरा से पार्टी को उम्मीदें है। इससे इतर रामगढ़ सीट पर कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली आते हैं। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस की जीत का परचम लहराना टास्क से कम नहीं है। दौसा,झुंझनू और देवली उनियारा सीट पर सचिन पायटल सबसे बड़ा चेहरा है। इस बार पायलट गहलोत से ज्यादा राजस्थान में सक्रिय रहने वाले हैं। क्योंकि गहलोत के पास मुंबई की जिम्मेदारी है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी नजदीक हैं,ऐसे में वह मुंबई में ज्यादा रहेंगे। ऐसे में ये चुनाव दो मुख्य चेहरों भजनलाल शर्मा और गोविंद सिंह डोटासरा के लिए प्रतिष्ठिता बचाने की चुनौती है।