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Rajasthan By-Election: दौसा सीट पर जातिगत समीकरणों का खेल, कांग्रेस-बीजेपी की कवायद!

राजस्थान में 7 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में दौसा सीट सबसे हॉट बन गई है। बीजेपी ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उतारा है, जिसके बाद कांग्रेस मुफीद प्रत्याशी की तलाश में जुट गई है।

Rajasthan By-Election:  दौसा सीट पर जातिगत समीकरणों का खेल, कांग्रेस-बीजेपी की कवायद!

राजस्थान में 7 सीटों  पर होने वाले उपचुनाव के तैयारियां अंतिम चरणों में है। 25 अक्टूबर नामांकन की आखिरी तिथि है। ऐसे में बीते दिनों बीजेपी की ओर से सात सीटों में से छह पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है जबकि विपक्ष दल कांग्रेस भी टिकट वितरण पर विचार कर चुका है। जल्द ही आलामकमान नामों पर मुहर लगा सकते हैं। इस मसले पर प्रदेश कांग्रेस में राजस्थान से दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है। रामगढ़ सीट से दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे को मैदान में उतारा जा सकता है। जबकि झुंझुनूं से सांसद ब्रजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला का नाम फाइनल है। हालांकि पेंच दौसा सीट पर फंसा हुआ है। यहां पर बीजेपी ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को मैदान में उतारा है। सूत्रों की मानें तो जगमोहण मीणा के चुनाव लड़कने के बाद दौसा से कांग्रेस सांसद मुरार मीणा पत्नी को टिकट देने पर विचार कर रही है। 

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दौसा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों की होड़ 

दौसा सीट पर किरोड़ी लाल मीणा का प्रभाव माना जाता है। लोकसभा चुनाव में मीणा के भाई जगमोहन ने टिकट की मांग की थी हालांकि उनके टिकट नहीं दिया गया। नतीजन, बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। अब उपचुनावों में बीजेपी कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि पार्टी ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई को टिकट दिया है। बड़ा चेहरे उतरने से ये हॉट सीट बन गई है। कांग्रेस मुफीद कैंडिडेट की तलाश में है लेकिन अंदरूनी सूत्रों की मानें तो दौसा से कांग्रेस में 20-25 नेता दावेदारी ठोक रहे हैं जो पार्टी के लिए मुसीबत बन गया है। हर कोई जातिगत समीकरणों का हवाला दे रहा है। वहीं, उपचुनाव प्रत्याशी के चयन में यहां से कांग्रेस सांसद मुरारी लाल मीणा अहम भूमिका में होंगे। उन्होंने दौसा से तीन बार जीत दर्ज की है। इतना ही नहीं मुरारीलाल ने दो बार लगातार बीजेपी प्रत्याशी शंकर शर्मा को बड़े मतों के अंतर से हराया है।

क्या कहता है दौसा सीट का समीकरण 

दौसा में 41 साल बाद उपचुनाव की घड़ी आई है। यहां पर 1982 में तत्कालीन विधायक सोहनलाल बंशीवाल के निधन के बाद उपचुनाव हुए थे। दौसा सीट का समीकरण समझने वाले जानकार मानते हैं इस सीट पर जातिवाद हमेशा हावी रहा है। यहां किसी पार्टी का वर्चस्व नहीं है। ऐसे ये सीट गुर्जर बाहुल्य मानी जाती है । ऐसे में राजनीतिक दल भी जातिगत समीकरणों को साधते हुए टिकट का बंटवारा करते हैं। कांग्रेस-बीजेपी दोनों सामान्य वर्ग को साधने का प्रयास कर रही हैं। यहां से बीजेपी बड़ा दांव खेलते हुए किरोड़ लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा उतारा है। ऐसे में कांग्रेस को किसी ऐसे चेहरे की तलाश है जो मीणा को टक्कर दे सके। बहरहाल, आने वाले दो-तीन में साफ हो जाएगा, इस सीट पर किसका पलड़ा भारी है।