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Rajasthan By-Election: हनुमान बेनीवाल के गढ़ में बीजेपी की सेंध ! इस वजह से बढ़ी RLP की टेंशन

राजस्थान के उपचुनाव में खींवसर सीट पर बीजेपी और आरएलपी के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। हनुमान बेनीवाल के सामने टिकट वितरण की चुनौती है जबकि बीजेपी रेवंतराम डांगा के साथ इस सीट पर अपना दबदबा बनाने के लिए पूरी तैयारी के साथ उतर चुकी है।

Rajasthan By-Election: हनुमान बेनीवाल के गढ़ में बीजेपी की सेंध ! इस वजह से बढ़ी RLP की टेंशन

उपचुनाव में झुंझुनू से लेकर दौसा सीट की चर्चा हो रही है लेकिन एक सीट है जिस पर सीधा मुकाबला आरएलपी और बीजेपी का होगा। ये सीट और कोई नहीं बल्कि खींवसर है। यहां से बीजेपी ने रेवंतराम डांगा को उतारकर पत्ते खोल दिये हैं लेकिन अभी यहां अपना प्रभुत्व रखने वाले हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने अभी तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। वहीं बीएपी तो कांग्रेस से अलग चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जबकि आरएलपी और कांग्रेस की गठबंधन पर संशय बरकरार है। वहीं, राजनीतिक जानकारों की मानें तो नागौर सांसद बेनीवाल के सामने टिकट वितरण की बड़ी चुनौती है। वह इस सीट से अपने भाई और पत्नी को किसी को टिकट दे सकते हैं। 

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मजबूत स्थित में कांग्रेस

बीजेपी ने रेवंतराम डांगा को प्रत्याशी बनाकर हनुमान बेनीवाल की टेंशन बड़ा दी है। दरअसल, इसके पीछे ये कारण ये भी है कि विधानसभा चुनाव में रेवंत का प्रदर्शन शानदार रहा था। उन्होंने बेनीवाल को कड़ी चुनौती दी थी और कुछ वोटों के अंतर से हारे थे। बेनीवाल ने 2 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। ऐसे में इस बार के चुनाव में पार्टी ने दोबारा रेवंत पर भरोसा जताया है। डांगा किसान परिवार से आते हैं। वहीं, जिस तरह से अन्य सीटों पर टिकट वितरण से बीजेपी के नई नेताओं ने बागी तेवर अपना लिये लेकिन इससे इतर बीजेपी खींवसर में ऐसा कुछ नहीं बै। यहां पर बगावत के कोई सुर नही है। यानी बीजेपी बेनीवाल के गढ़ में पूरी तैयारी के साथ सेंध लगाने की फिराक में हैं। 
 
16 साल से खींवसर पर RLP का कब्जा

वहीं, समीकरणों पर नजर डालें तो खींवसर सीट पर 16 सालों से हनुमान बेनीवाल का कब्जा है। 2009 में यहां से बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल को टिकट दिया था। वहीं, 2013 में खींवसर से निर्दलीय चुनाव लड़ा। 2018 में उन्होंने खुद की पार्टी बना ली। 2019 में भी यहां उपचुनाव हुए थे। उस वक्त हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल जीते थे। 2023 में खुद आरएलपी प्रमुख चुनाव लड़े और जीते। 2024 में उन्होंने इंडिया गठबंधन के साथ मैदान में उतरे और नागौर से सांसद चुने गए। ऐसे में कांग्रेस-आरएलपी के गठबंधन पर सभी की निगाहें टिकी हैं। यदि दोनों दलों का गठबंधन नहीं होता है तो यहां पर कांग्रसे भी अपना प्रत्याशी उतार सकती हैं। ऐसे में दोनों तरफ से हनुमान बेनीवाल की टेंशन बढ़ा रही है।