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Rajasthan News: बिना शादी के साथ रहने की 'नाता प्रथा', क्या है राजस्थान का ये अनोखा रिवाज, जानें यहां

राजस्थान में 'नाता विवाह' की प्रथा के चलते एक दंपत्ति का अपहरण कर लिया गया और उन्हें जमकर प्रताड़ित किया गया। पति-पत्नी को जंगल में बंधक बनाकर मारपीट की गई और उन्हें पेशाब पिलाया गया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की।

Rajasthan News: बिना शादी के साथ रहने की 'नाता प्रथा', क्या है राजस्थान का ये अनोखा रिवाज, जानें यहां

खबर राजस्थान से है। जहां इन दिनों नाता विवाह खूब चर्चा बंटोर रहा है। मामले को हवा तब मिली जब चित्तौड़गढ़ में एक दंपत्ति का अपहरण कर लिया गया था। आरोपियों ने पति-पत्नी को प्रताड़ित करते हुए जमकर मारपीट की। क्रूरता की हदें पर करते हुए आरोपियों ने उन्हें जंगल में बंधक बना लिया और पानी की बजाय पेशाब मिलाई। जब दोनों की हालत बिगड़ गई तो वह उन्हें बेगू छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। ऐसे में जानते है आखिर नाता प्रथा क्या है। 

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पिटाई से गंभीर रूप से घायल दंपत्ति

बता दें, पूरा मामला चित्तौड़गढ़ के मक्खनपुरा का है। जहां रामलाल नाम शख्स और उसकी पत्नी के सात बदमाशों ने मारपीट की। दोनों को इतना प्रताड़ित किया गया कि पीड़ित की पीठ बिल्कुल नीली पड़ गई है। वहीं पीड़ित का आरोप है कई बार पुलिस से शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़िता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसने नर्मदा से नाता विवाह किया था। जिसके बाद सुसराली पक्ष नाता विवाह के पैसे मांग रहे थे। उस समय पैसे न होने पर बदमाश 23 सितंबर को बड़े भाई कमलेश को अपने साथ ले गए और बंधक बना लिया। वह पुलिस के पास रपट लिखाने भी गया था लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच दो दिन बाद 25 सितंबर को 10-12 लोग बहन से मिलने का बहाना बनाकर घर आए और बाद में अपहरण कर ले गए। 

आखिर क्या है नाता विवाह ?

बता दें, राजस्थान में नाता विवाह काफी प्रचलित हैं। हालांकि, इसका पालन कुछ जातियां ही करती हैं। इस प्रथा के अनुसार कोई भी महिला अपने पति को छोड़कर अन्य पुरुष के साथ रहने के लिए स्वतंत्र होती है। महिलाएं ही नहीं पुरुष भी अपनी पत्नी के इच्छा के बाद किसी भी विवाहित महिला के साथ रह सकता है। खास बात है कि इस प्रथा के लिए किसी खास शादी-विवाह की जरूरत नहीं होती है। वह बिन शादी के साथ रह सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें अपने पहले पति या फिर पत्नी को तय की गई निश्चित राशि देनी होती है। 

क्यों हुआ नाता विवाह की शुरुआत ?

नाता प्रथा की शुरुआत विधवाओं के सामाजिक जीवन को पुनः स्थापित करने के लिए की गई थी,जिससे उन्हें समाज में एक नई पहचान मिल सके और वह अपना जीवन आराम से जी सकें। नाता विवाह का फैसला पंचायत करती है। जहां पांच पंच निर्णय लेते हैं। यहां पर आर्थि स्थित और बच्चों के जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होती है। इतना ही नहीं इस दौरान महिला, पुरुष, और उनके परिजनों (महिला के माता-पिता, महिला का पूर्व पति और पुरुष की पत्नि) के बीच सहमति बनाई जाती है।इस प्रथा के अंतर्गत कोई विवाहित महिला किसी अन्य पुरुष के साथ रह सकती है, लेकिन इसके लिए एक निश्चित धनराशि का भुगतान करना होता है। पंचायत उस पुरुष से राशि की मांग करती है, जो महिला को अपने साथ रखना चाहता है। इस प्रक्रिया में पत्नी के पक्ष को तय राशि देने के बाद, वह दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगती है। इस राशि को 'झगड़ा छूटना' कहा जाता है।