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बूढ़ी मां की रुला देने वाली कहानी, कंधों पर 5 लोगों की जिम्मेदारी, ‘अब मेरे परिवार का क्या होगा?’, पढ़िए ये रिपोर्ट

कोटड़ी लुहारवास निवासी धोली देवी के बेटे शैतान की पांच दिन पहले लीवर की बीमारी के चलते नौ साल की उम्र में मौत हो गई थी।

बूढ़ी मां की रुला देने वाली कहानी, कंधों पर 5 लोगों की जिम्मेदारी, ‘अब मेरे परिवार का क्या होगा?’, पढ़िए ये रिपोर्ट

सीकर/खंडेला. दुख के सागर में डूबी एक गरीब बूढ़ी मां की यह कहानी दम घोंटने वाली है। दिल में दबे दर्द को बयां करने के लिए उसके पास न तो होश है और न ही शब्द...सिर्फ बेटे की याद में बहते आंसू और पांच पोतों व बीमार बहू की भूख की चिंता। ऊपर से कर्ज के बोझ की चिंता भी चिता की तरह अंदर ही अंदर जलती रहती है। बेबस मां बेहोशी में रुंधे गले से सिर्फ इतना ही कह पाती है कि 'अब मेरे परिवार का क्या होगा?

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पांच दिन पहले बेटे की मौत

कोटड़ी लुहारवास निवासी धोली देवी के बेटे शैतान की पांच दिन पहले लीवर की बीमारी के चलते नौ साल की उम्र में मौत हो गई थी। गरीबी की मार के बीच शैतान बीमारी के दौरान भी गुजरात में मजदूरी कर अपनी बूढ़ी मां, पत्नी व पांच बच्चों का पालन-पोषण कर रहा था। उसकी मौत ने परिवार को झकझोर कर रख दिया है।

बूढ़े कंधों पर पांच बच्चों और बीमार बहू का बोझ

लंबी बीमारी के बाद दम तोड़ने वाले शैतान की चार बेटियां और एक बेटा है। सबसे छोटा बेटा अक्षय चार साल का है। पायल, प्रति, अंशु और खुशी की उम्र 8 से 15 साल के बीच है। इनकी मां भी गंभीर बीमारी से ग्रसित है। ऐसे में परिवार का पूरा बोझ बूढ़ी मां ढोले देवी के कंधों पर आ गया है। परिवार के सामने बच्चों की पढ़ाई का भी संकट खड़ा हो गया है।

कर्ज चुकाते हुए कैसे जलाएं चूल्हा

गरीबी में बीमारी के दंश ने परिवार की आर्थिक कमर पूरी तरह तोड़ दी है। ढोले देवी के मुताबिक बेटे और बहू के इलाज और परिवार के भरण-पोषण के लिए अब तक तीन लाख रुपये का कर्ज लिया जा चुका है। इसे चुकाना और बूढ़े शरीर के लिए घर का चूल्हा जलाना नामुमकिन हो गया है। पहले वह मनरेगा में मजदूरी करती थी। लेकिन बूढ़े शरीर और परिवार की हालत में वह भी मुश्किल हो गया है।