दादा ने थमाया बैटमिंटन, पिता ने दी कोचिंग फिर बेटे ने ओलंपिक में रचा इतिहास, लक्ष्य सेन के खेल संग हो रही टैटू की चर्चा
Lakshya Sen: भारतीय बैटमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचा है। वो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। भारत के खाते में पेरिस ओलंपिक से 3 कांस्य पदक आ चुके हैं। लक्ष्य सेन भी ओलंपिक मेडल से बस एक कदम दूर हैं।
Lakshya Sen: पेरिस ओलंपिक की धूम देश बनी हुई हैं। इस समय सभी की जुबान पर लक्ष्य सेन का नाम है। जिन्होंने शुक्रवार को पुरुष बैटमिंटन के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया था। लेकिन लक्ष्य सेन कौन हैं? क्या है उनकी कहानी और टैटू के शौकीन के टैटू को कैसी मिलती है मोटिवेशन? आइए आपको उनके बारे में बताते हैं...
भारतीय बैटमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचा है। वो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। भारत के खाते में पेरिस ओलंपिक से 3 कांस्य पदक आ चुके हैं। लक्ष्य सेन भी ओलंपिक मेडल से बस एक कदम दूर हैं।
पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचने वाले लक्ष्य सेन उत्तराखंड में अल्मोड़ा के रहने वाले हैं। अगस्त 2001 में बंगाली परिवार में पैदा हुए लक्ष्य सेन के परिवार में हमेशा से ही बैडमिंटन की रगों में दौड़ रही है। उनके दादा चंद्र लाल सेन अल्मोड़ा में बैडमिंटन खेल की पहचान दिलाने वाले पहले व्यक्ति थे, जबकि उनके पिता डी. के. सेन उनके कोच हैं। उन्होंने 2022 के राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीता था।
लक्ष्य सेन ने 2022 में आयोजित हुए एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। वहीं, 2021 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतते हुए भारत के शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाई। अब पेरिस ओलंपिक में लक्ष्य सेन ने चीन की ताइपे खिलाड़ी चाउ टिएन चेन को 19-21, 21-15, 21-12 से हराकर इतिहास रच दिया है।
अब सेमीफाइनल में लक्ष्य का मुकाबला सिंगापुर के लोह कीन यू और डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन के बीच होने वाले क्वार्टर फाइनल के विजेता से होगा। पहले गेम में मिली हार के बाद लक्ष्य ने दूसरे में वापसी की। इसके बाद भारतीय शटलर ने निर्णायक गेम में बड़े अंतर से जीत दर्ज करके सेमीफाइनल का टिकट पक्का किया है।
लक्ष्य ने अपनी बॉडी पर कई टैटू करा रखे हैं। लक्ष्य सेन की गर्दन पर SKY IS THE LIMIT लिखा है, जिसका मतलब है आपकी कामयाबी की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए, उस आसमान की ऊंचाई तक बढ़ो जिसकी कोई सीमा नहीं है।
लक्ष्य सेन ने सिर्फ 22 साल के हैं और बैडमिंटन की दुनिया में अपनी एक अलग छाप छोड़ दी है। उनके प्रदर्शन में उनकी लगन और कड़ी मेहनत साफ झलकती है और उनका यह सफ़र भारत के कई महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।