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UP News: काशी विश्वनाथ धाम में सुगम दर्शन और शुद्ध प्रसाद की नई व्यवस्था लागू

काशी विश्वनाथ धाम में अब श्रद्धालुओं को 300 रुपये के बजाय 250 रुपये में सुगम दर्शन की सुविधा मिलेगी। साथ ही, शुद्ध लड्डू का प्रसाद 120 रुपये में उपलब्ध होगा। मंदिर प्रबंधन ने प्रसाद की शुद्धता और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए बनारस डेयरी के साथ मिलकर इसे तैयार किया है।

UP News: काशी विश्वनाथ धाम में सुगम दर्शन और शुद्ध प्रसाद की नई व्यवस्था लागू

काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा और शुद्ध प्रसाद को लेकर नई व्यवस्थाएं लागू की गई हैं, जिससे भक्तों को दर्शन और प्रसाद के लिए बेहतर अनुभव मिल सके। अब बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 300 रुपये के बजाय केवल 250 रुपये का टिकट लेना होगा, जिससे उन्हें सुगम दर्शन की सुविधा मिल सकेगी। इसके साथ ही 200 ग्राम लड्डू का प्रसाद अब 120 रुपये में उपलब्ध होगा, जो पहले 100 रुपये में मिलता था।

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प्रसाद पूरी तरह होगा शुद्ध

काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि मंदिर में बिकने वाला प्रसाद पूरी तरह शुद्ध और पवित्र रहेगा। इस शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए मंदिर प्रबंधन ने प्रसाद का निर्माण खुद कराने का निर्णय लिया है।

कैसे बनेगा प्रसाद

बनारस डेयरी (अमूल) की फूड प्रोसेसिंग यूनिट में बाबा को अर्पित बेलपत्र के चूर्ण को मिलाकर प्रसाद बनाया जा रहा है। इससे प्रसाद की शुद्धता और स्वच्छता की गारंटी मिलती है। साथ ही, प्रसाद निर्माण में लगे लोग सनातन परंपराओं का पालन करते हुए स्नान आदि करके ही इस कार्य को अंजाम देते हैं।

विशेष वीआईपी व्यवस्था का प्रावधान नहीं

मिश्रा ने बताया कि मंदिर में सभी भक्तों के साथ समान व्यवहार किया जाता है, और किसी विशेष वीआईपी व्यवस्था का प्रावधान नहीं है। हालांकि, कुछ भक्तों की समय की बाधाएं होने पर उनके लिए 250 रुपये का सुगम दर्शन टिकट उपलब्ध कराया गया है, जो पहले 300 रुपये था। नई व्यवस्था में प्रसाद की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है, जिससे भक्तों को दर्शन के लिए केवल 250 रुपये का भुगतान करना होगा। महाप्रसाद लेने के इच्छुक श्रद्धालु अतिरिक्त 50 रुपये का भुगतान कर सकते हैं।

भक्तों को राहत मिलेगी

इस बदलाव से भक्तों को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें शुद्ध और पवित्र प्रसाद का भी आनंद मिलेगा। दशहरे के दिन से तंदुल प्रसाद की यह नई व्यवस्था शुरू की गई है, जो चावल के आटे, शुद्ध घी और बेलपत्र के अंश से तैयार किया जाता है।