सरकार में कैबिनट मंत्री, राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री के कामों में क्या होता है अंतर ? आइए जानते है
नई दिल्ली, देश में केद्र सरकार के तहत तीन मंत्री पद होते है. जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री शामिल है. तीनों की जिम्मेदारियां और अधिकार तय होते है.
दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में 9 जून को एनडीए सरकार का शपथ समरोह पूरा हुआ. जहां नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपत ली. साथ ही मोदी सरकार में 71 मंत्रियों ने भी कार्यभार की शपथ ली. जिनमें से 30 कैबिनेट मंत्री, 5 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्यमंत्री शामिल है. सरकार में तीन प्रकार के मंत्री होते है. जिनके अलग-अलग जिम्मेदारियां और अधिकार होते है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के पास सबसे अधिक पावर और अधिकार होते है. इसके बाद राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) के पास कैबिनेट से कुछ कम पावर और अधिकार होते है. सबसे आखिरी में आते है राज्य मंत्री जिनके अधिकार दोनों मंत्रियों से कम होते है.
पीएम के बाद सबसे ज्यादा पावरफुल होते है कैबिनेट मंत्री
सरकार में पीएम के बाद सबसे ज्यादा पावर और अधिकार कैबिनेट मंत्री के पास होते है. एक कैबिनेट मंत्री को एक से ज्यादा विभाग भी मिल सकते है. ये सीधे पीएम को रिपोर्ट करते है. सरकार द्वारा देश के लागू की जा रही योजनाओं की बैठक में कैबिनेट मंत्री का शामिल होना अनिवार्य होता है.
कैबिनेट मंत्री के बाद आते है राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
कैबिनेट मंत्री के बाद राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आते है. ये भी अपने काम की रिपोर्ट सीधे पीएण को सौंप थे और वो उनके दिए गए विभाग के स्वतंत्र प्रभारी होता है. मंत्रालय के कामों की जिम्मेदारी इस प्रकार के मंत्री संभालते है. ये कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होते है. लेकिन जरूरत पड़ने पर ये अपनी बात कैबिनेट बैठक में रख सकते है.
कैबिनेट मंत्री के सहयोगी होते है राज्यमंत्री
राज्यमंत्री सीधे तौर कैबिनेट मंत्री के सहयोगी होते है. ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते है. आम तैर मंत्रालय के आकार और काम के आधार पर एक या दो राज्यमंत्री नियुक्त किए जाते है. गृह, वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बड़े मंत्रालयों में कई विभाग शामिल होते हैं. इनमें से अलग-अलग विभागों का जिम्मा राज्यमंत्रियों को सौंपा जाता है.