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क्या वक्फ की जमीन पर बनी है नई संसद? …यह प्रॉपर्टी हमारे बाप-दादा की, जानें क्या है पूरा मामला

बदरुद्दीन अजमल ने वक्फ विधेयक के खिलाफ बोलते हुए कहा कि नई संसद खुद वक्फ की जमीन पर है। उन्होंने दावा किया कि सरकार वक्फ बोर्ड की 9.7 लाख बीघा जमीन हड़पना चाहती है।

क्या वक्फ की जमीन पर बनी है नई संसद? …यह प्रॉपर्टी हमारे बाप-दादा की, जानें क्या है पूरा मामला

असम के धुबरी से पूर्व सांसद और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने नए संसद भवन को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि नया संसद भवन वक्फ की जमीन पर बना है। अजमल ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ की जमीन हड़पना चाहती है।

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'संसद भवन वक्फ की जमीन पर है'

जानकारी के मुताबिक, बदरुद्दीन अजमल ने वक्फ विधेयक के खिलाफ बोलते हुए कहा कि नई संसद खुद वक्फ की जमीन पर है। उन्होंने दावा किया कि सरकार वक्फ बोर्ड की 9.7 लाख बीघा जमीन हड़पना चाहती है। उन्होंने मांग की है कि वक्फ की जमीन मुस्लिम समुदाय को सौंप दी जाए। मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजमल ने कहा कि सरकार को वक्फ की सारी जमीन मुसलमानों को सौंप देनी चाहिए। अगर सरकार हमें जमीन दे तो हम मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और अनाथालय की व्यवस्था खुद करेंगे। इसके लिए हमें सरकार से किसी तरह की मेहरबानी की जरूरत नहीं है।

वक्फ बिल को लेकर सरकार पर आरोप

अजमल ने आरोप लगाया कि सरकार अंबानी और अडानी जैसे उद्योगपतियों को फाइव स्टार होटल बनाने के लिए वक्फ की जमीन दे रही है। उन्होंने कहा कि वक्फ की जमीन हजारों सालों से हमारे पूर्वजों और परदादाओं द्वारा दी गई जमीन है। कुरान और हदीस के अनुसार ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी जमीन दान स्वरूप करता है तो इससे उसकी आत्मा को शांति मिलती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यदी सरकार वक्फ बोर्ड को जिला कलेक्टर को सौंपती है तो ये अधिकारी भेद- भाव करेंगे।

कौन हैं बदरुद्दीन अजमल?

मौलाना बदरुद्दीन अजमल एक मुस्लिम धार्मिक नेता और पूर्व सांसद हैं। वे ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने असम के मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा के लिए 2005 में की थी। अजमल 2019 में असम की धुबरी लोकसभा सीट से सत्रहवीं लोकसभा के सांसद चुने गए थे। हालांकि, 2024 के चुनाव में वे चुनाव हार गए। अजमल का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा है। उन पर असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थन करने का भी आरोप है।