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जानिए बिश्नोई समाज के लिए क्यों इतना खास है काला हिरण, 15वीं शताब्दी में बना था ये खास रिश्ता!

मान्यता है कि काले हिरण को अवतार मानकर बिश्नोई समाज उनकी पूजा करता है। बिश्नोई लोककथाओं में कहा जाता है कि जांबाजी ने अपने अनुयायियों को काले हिरण को अपना अवतार मानकर उसका आदर करने का निर्देश दिया था।

जानिए बिश्नोई समाज के लिए क्यों इतना खास है काला हिरण, 15वीं शताब्दी में बना था ये खास रिश्ता!

सलमान खान और बिश्नोई समाज के बीच विवाद के बारे में हम जानते हैं, काले हिरण के शिकार करने को जुर्म मानते से सलमान खान की दुश्मनी की कहानी, साल 1998 में काले हिरण के शिकार की है। जब ‘हम साथ-साथ हैं’ फिल्म की शूटिंग के दौरान सलमान और उनके कुछ साथी कलाकारों द्वारा काले हिरण के शिकार का मामला सामने आया था। सलमान खान पर एफआईआर हुई, कोर्ट में सुनवाई हुई और काले हिरण के शिकार का शिकार बैन होने के बाद भी जुर्म करने को लेकर सलमान खान को सजा मिली, फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अभी फैसले का इंतजार है, पर इस सब के बीच एक सवाल खड़ा होता है कि आखिर बिश्नोई समाज और काले हिरण का संबंध इतना गहरा क्यों है, क्या वाकई बिश्नोई समाज काले हिरण को इस कदर पूजता है, तो इसका जवाब सदियों पुरानी परंपरा से जुड़ा हुआ है।

लॉरेंस बिश्नोई ने खाई बदले की कसम

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, ज सलमान खान द्वारा किए कृत्य के समय शायद महज पांच साल से ज़्यादा का नहीं रहा होगा, उसने सलमान खान से बदला लेने की कसम खाई। दरअसल, बिश्नोई समुदाय का काले हिरणों और चिंकाराओं से गहरा रिश्ता है  सिर्फ काले हिरण और चिंकारा ही नहीं, यह समुदाय शिकारियों और लकड़हारों से वन्यजीवों और वनस्पतियों की रक्षा के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समुदाय के लिए यह 550 साल पुराना रिश्ता है।

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बिश्नोई समाज नहीं जीवन जीने का तरीका है!

जानकारी के मुताबिक, बिश्नोई समुदाय, जिसकी स्थापना गुरु जम्भेश्वर ने 15वीं शताब्दी के आसपास की थी, जो 29 सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। उनकी शिक्षाएं वन्यजीवों और वनस्पतियों की सुरक्षा और संरक्षण पर जोर देती हैं। बिश्नोई दर्शन के मूल सिद्धांतों में से एक है काले हिरण की पूजा उनके आध्यात्मिक गुरु जम्भेश्वर के पुनर्जन्म के रूप में करना। समुदाय के एक सदस्य राम स्वरूप ने 2018 में इंडिया टुडे को बताया था, "बिश्नोई कोई धर्म नहीं है, बल्कि गुरु जम्भेश्वर के 29 सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीने का एक तरीका है, जिन्होंने 550 साल पहले बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना की थी। सिद्धांतों में से एक पेड़ों और जानवरों की सुरक्षा की वकालत करता है। हम जानवरों की रक्षा के लिए मरने के लिए भी तैयार हैं। हमारे समुदाय ने सलमान खान मामले में एक बेहतरीन मिसाल कायम की है। हमारी महिलाएं परित्यक्त काले हिरणों को अपने बच्चों की तरह पालती हैं।"

काले हिरण को अवतार मानकर करते हैं पूजा

इसी के साथ ही मान्यता है कि काले हिरण को अवतार मानकर बिश्नोई समाज उनकी पूजा करता है। बिश्नोई लोककथाओं में कहा जाता है कि जांबाजी ने अपने अनुयायियों को काले हिरण को अपना अवतार मानकर उसका आदर करने का निर्देश दिया था। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के इतिहासकार विनय लाल ने बिश्नोई पर अपने शोध पत्र में लिखा है, "कहा जाता है कि बिश्नोई मानते हैं कि उनका पुनर्जन्म हिरण के रूप में होगा, जो शायद जानवरों को दी जाने वाली पवित्रता को आंशिक रूप से समझा सकता है। निश्चित रूप से लोककथाओं के अनुसार जांबाजी ने अपने अनुयायियों को निर्देश दिया था कि काले हिरण को उनका अवतार मानकर उसका आदर किया जाना चाहिए।"

नोट: प्राप्त जानकारी मीडिया वेबसाइट्स से प्राप्त की गईं हैं।