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गर्मी का दिमाग पर कैसे पड़ता है असर, क्यों हो जाती है हीट स्ट्रोक से मौत, इस उपाय को अपनाने पर नहीं होगी परेशानी ?

देश के कई इलाकों में खासकर उत्तरी भारत में इस बार रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है. गर्मी की वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हीटवेव की वजह से कई लोगों की मौत भी हो गई है. आइए जानते हैं कि कैसे तेज गर्मी मौत का कारण बन जाती है. 

गर्मी का दिमाग पर कैसे पड़ता है असर, क्यों हो जाती है हीट स्ट्रोक से मौत, इस उपाय को अपनाने पर नहीं होगी परेशानी ?

भारत में इस बार गर्मी ने कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. देश के कई इलाकों में लगातार तापमान 45 डिग्री से ऊपर बना हुआ है. तेज गर्मी के कारण लोगों को हीट स्ट्रको पड़ रहे है. जिसकी वजह से ना जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवानी पड़ चुकी है. पिछले दिन दिल्ली का तापमान 50 डिग्री से ऊपर पहुंच गया था. राजधानी में बीते मंगलवार को हीटवेव की वजह से 40 साल के एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद उसे दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान बुधवार को उसने दम तोड़ दिया.

  

डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज की मौत का कारण अधिक गर्मी थी. उसके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया था. इससे हीट स्ट्रोक आया जो मौत का कारण बन गया. ऐसे में यह जानना आपके लिए जरूरी है कि गर्मी में शरीर का तापमान क्यों बढ़ने लगता है . ये कितना खतरनाक है और मौत का कारण कैसे बन सकता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है.

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब शरीर का टेंपरेचर बढ़ता है तो शरीर गर्म होता है और बुखार आता है. लेकिन बुखार और गर्मी के कारण होने वाले बुखार के अंतर को समझना जरूरी है. अगर शरीर का तापमान 98. 6 डिग्री फारेनहाइट है तो ये नॉर्मल है, लेकिन अगर ये 100 या 102 तक जाता है तो इसको फीवर कहते हैं. आमतौर पर सर्दी हो या गर्मी इतना तापमान होने पर वह बुखार कहलाता है, लेकिन अगर गर्मियों के मौसम में शरीर का तापमान 103 डिग्री से अधिक होने लगता है तो ये खतरनाक हो सकता है.

कैसे दिमाग पर पड़ता है असर ? 

जानकारों का कहना है कि कि जब ज्यादा पसीना बहता है तो दिमाग का सिग्नल सिस्टम खराब होने लगता है. इससे लोगों को चक्कर आने लगते है और अचानक से बेहोशी आ जाती है. शरीर पर पसीना तब आता है. जब शरीर का टेम्परेचर बढ़ जाता है. ऐसा आमतौर में 40 डिग्री तापमान होनी की वजह से होता है. ऐसे में शरीर में पानी कमी हो जाती है और लोग डिहाइड्रेशन के कारण कमजोरी आने लगती है और थकान हो जाती है. अगर ये स्थिति कंट्रोल न हो तो तापमान लगातार बढ़ता है और 42 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है. 

 कितने तापमान में हो जाती है मौत ?

डॉक्टर के मुताबिक , अगर आप के शरीर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक चला जाए. तो आपको ब्रेन हमैरेज हो सकता है और टेंपरेज 42 डिग्री पहुंचे पर मौत हो जाकी है. इसकी शुरुआत ज्यादा पसीना आने से हो सकती है. इसका असर स्किन, किडनी, हार्ट और ब्रेन सभी अंगों पर पड़ता है. अगर ब्रेन फेल हो जाता है तो मौत हो सकती है.    

हार्ट में भी पड़ती है असर

जानकारों के अनुसार गर्मी का असर हार्ट पर भी होता है. हीट स्ट्रोक के कारण हार्ट अटैक भी आ सकता है. जब बाहर का तापमान अधिक होता है तो इससे पसीना ज्यादा आता है और पानी की कमी हो जाती है. इस वजह से ब्लड का वॉल्यूम भी कम हो जाता है और इससे हार्ट पर प्रेशर पड़ता है और हार्ट अटैक आ जाता है.         

 ऐसे करें बचाव

दोपहर 12 से 4 के बीच बाहर धूप में न जाएं

गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे बाहर न निकलें

अगर बाहर जाना जरूरी है तो सिर को कवर रखें.

दिन में कम से कम 3 लीटर पानी पिएं