Alwar News: अलकायदा ट्रेनिंग सेंटर का भंडाफोड़, 16 बार महिला एसपी की जासूसी, आतंकी साजिश या भीतर का खेल?
जांच में ये खुलासा हुआ कि एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी की लोकेशन को ट्रैक करने के लिए साइबर सेल ने उनके फोन को 16 बार ट्रेस किया। इस जानकारी के बाद एसपी ने सख्त कदम उठाते हुए।
राजस्थान के अलवर के चौपानकी इलाके में अलकायदा के एक ट्रेनिंग सेंटर का भंडाफोड़ होने के बाद एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। एनआईए द्वारा खुलासा किए गए इस मामले में भिवाड़ी पुलिस का लिंक उजागर हुआ है। इस मामले में साइबर सेल के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिन्होंने एनआईए टीम के सदस्यों और भिवाड़ी एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी की गतिविधियों की निगरानी की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर सेल के कुछ पुलिसकर्मियों ने एसपी समेत अन्य पुलिस अधिकारियों के फोन सर्विलांस पर रखे थे।
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16 बार महिला एसपी की जासूसी
जांच में ये खुलासा हुआ कि एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी की लोकेशन को ट्रैक करने के लिए साइबर सेल ने उनके फोन को 16 बार ट्रेस किया। इस जानकारी के बाद एसपी ने सख्त कदम उठाते हुए साइबर सेल के प्रभारी एसआई श्रवण जोशी और अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और तिजारा डीएसपी को मामले की जांच सौंपी गई।
अलकायदा ट्रेनिंग सेंटर और हत्या के बीच कनेक्शन ?
इसके अलावा, भिवाड़ी में हाल ही में हुए कमलेश ज्वेलर्स हत्या कांड में भी साइबर सेल द्वारा संबंधित पुलिस अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखी गई। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अलकायदा ट्रेनिंग सेंटर के मामले और ज्वेलर्स की हत्या के बीच कुछ कनेक्शन हो सकते हैं।
कानून व्यवस्था पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने इस प्रकरण को राजस्थान की कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया है और त्वरित जांच की मांग की है। इस मामले के बाद पुलिस विभाग के भीतर ही एक बड़ी जांच की संभावनाएं पैदा हो गई हैं, जिससे राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
रिपोर्ट में दो महत्वपूर्ण आशंकाएं
पहली ये कि साइबर सेल इंचार्ज श्रवण जोशी का बिना परमिशन पुलिस अधिकारियों की लोकेशन ट्रेस करना एक अपराध है, और इस तरह की गतिविधियों के जरिए बदमाशों की मदद की जा सकती है।
दूसरी आशंका ये है कि किसी अन्य पुलिस अधिकारी के आदेश पर गैरकानूनी तरीके से एसपी और अन्य पुलिस अधिकारियों की लोकेशन ट्रेस की गई हो, हालांकि रिपोर्ट में किसी विशिष्ट अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है।
किसी बड़े नेता के इशारों पर हुई ट्रेसिंग !
इसके अलावा, ये भी संभव है कि इस ट्रेसिंग के पीछे किसी बड़े नेता के इशारों पर काम किया गया हो, जो अपनी राजनीतिक या व्यक्तिगत मंशाओं के तहत पुलिस अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखना चाहता था। इन दोनों आशंकाओं के कारण मामला और भी उलझ गया है, और ये सवाल उठता है कि क्या इस पूरी घटना के पीछे कोई गहरी साजिश या राजनीतिक दबाव काम कर रहा था।