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आरक्षण की राजनीति के बीच राजस्थान में मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर खतरा, चुनाव बाद सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

देश में लोकसभा चुनाव में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. जिसको लेकर सत्ताधारी पर्टी बीजेपी और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर है. अब राजस्थान की 14 मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर खतरा मंडरा रहा है.  

आरक्षण की राजनीति के बीच राजस्थान में मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर खतरा, चुनाव बाद सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

देश भर में आरक्षण का मुद्दा सुर्खियों पर बना हुआ. विपक्ष और सत्ता दोनों ही आरक्षण को लेकर अपनी आवाज मुखर कर रहे है. राजस्थान के सीएम भजनलला शर्मा ने भी कई मौके पर कहा है कि राजस्थान में धर्म के हिसाब से आरक्षण नहीं मिलेगा. जिसके बाद राजस्थान की 14 मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर खतरा मंडराने लगा है. जिस पर अब सियासत गरमा गई है. राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने इस संबंध में शनिवार को बयान देते हुए कहा कि सरकार ने मुस्लिम समाज के 14 वर्ग को ओबीसी वर्ग का कोटा काटकर जो आरक्षण दिया है, वह गलत है.  

चुनाव के बाद कमेटी करेंगी फैसला 

राजस्थान सरकार मंत्री अविनाश गहलोत ने बताया कि 'राजस्थान में वर्ष 1947 से वर्ष 2013 तक क्रमवार तरीके से 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कैटेगरी के अंदर डाला गया है. इस आरक्षण का सर्कुलर भी सरकार के पास मौजूद है, जिस पर सरकार 4 जून के बाद रिव्यू किया जाएगा. भारत के संविधान में बाबासाहेब अंबेडकर ने भी लिखा है कि धर्म के आधार पर किसी जाति या वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. लेकिन कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति करते हुए यह गलत कार्य किया. इस संबंध में हमें कई शिकायतें भी मिली हैं, जिनके सत्यापन का कार्य शुरू हो चुका है. धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के विरुद्ध है. इसीलिए स्पेशल कमेटी बनाकर हम इसकी समीक्षा कराएंगे और फिर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी.'

इन जातियों को मिलता है आरक्षण का लाभ

राजस्थान में वर्तमान में ओबीसी में 91 जाति-वर्ग शामिल हैं, जिसमें से 14 मुस्लिम समुदाय की जाती है. इनमें नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, काठात, मेहरात, चीता, घोडात और बिसायती शामिल है. इन मुस्लिम जातियों को राजस्थान में आरक्षण का लाभ मिलता है. 4 जून के बाद सरकार कमेटी का गठन कर इनकी समीक्षा करेंगी.

सीएम भजनलाल कई बार दें चुके है संकेत  

सीएम भजनलाल चुनाव प्रचार के दौरान कई बार इसके संकेत दे चुके है. बीते दिन लखनऊ प्रेसवर्ता के दौरान सीएम ने कहा था कि 'राजस्थान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा. जिस प्रकार से संविधान आरक्षण का प्रावधान करता है, उसी के अनुसार ही आरक्षण दिया जाएगा. हम संविधान का सम्मान करते हैं और उसी के अनुसार नीतिया बनाते हैं. आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं समुदायों को मिलेगा, जिन्हें संविधान में इसके लिए पात्र माना गया है.' 

कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के बात अटकलें तेज

हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल की सरकार खिलाफ फैसला सुनता हुए 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया और राज्य में सेवाओं व पदों पर रिक्तियों में इस तरह के आरक्षण को अवैध करार दिया. कोर्ट ने कहा कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए वास्तव में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है. मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ों के तौर पर चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है. यह अदालत इस संदेह को अनदेखा नहीं कर सकती कि मुसलमानों को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक साधन माना गया.