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भीषण गर्मी के बीच पार्षद ने भगोने में बैठकर किया यज्ञ, वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

राजस्थान में बीते एक सप्ताह से भीषण गर्मी से त्रहिमाम जैसी स्थिति बनी हुई है मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हीटस्ट्रोक और लू के कारण प्रदेश में अभी तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है

भीषण गर्मी के बीच पार्षद ने भगोने में बैठकर किया यज्ञ, वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

राजस्थान में बीते एक सप्ताह से भीषण गर्मी से त्रहिमाम जैसी स्थिति बनी हुई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हीटस्ट्रोक और लू के कारण प्रदेश में अभी तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच प्रदेश में गर्मी से राहत दिलाने और अच्छी बारिश के लिए पंडितों ने पानी के भगोने में बैठकर विशेष अनुष्ठान किया है। जिसकी तस्वीरें और वीडियोसोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। मामला राजस्थान की राजधानी जयपुर से सामने आया है। जहां एक पार्षद ने अच्छी बारिश और गर्मी से राहत के लिए इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रजन्य यज्ञ की उदात्त धाराएँ से इंद्र भगवान की प्रार्थना की है।

यज्ञ करने से प्रसन्न होंगे इंद्र देव ?

दरअसल इन दिनों नौतपा चल रहा है। नौतपे में गर्मी और बढ़ जाती है।कहा जाता है कि नौतपे में जितनी ज्यादा गर्मी पड़ती है, उतनी अच्छी बारिश होती है। नौतपे के दौरान पूजा और अनुष्ठान का भी खास विधान है। इसी कड़ी में बुधवार को जयपुर के स्वेज फार्म नील कंठ महादेव मन्दिर पर ग्रेटर नगर निगम वार्ड नंबर 134 पार्षद पंडित करन शर्मा ने राजस्थान सहित जयपुर में अच्छी वर्षा की कामना को लेकर इंद्रदेव को प्रसन्न करने के उद्देशय से प्रजन्य यज्ञ किया।

राजपुरोहितों ने दी 108 आहुतियां

राजपुरोहित आचार्य पंडित प्रदीप गौड़ ने कहा अनुष्ठानों से जल के देवता को इंद्र मनाया जाता है और जल साधना के साथ पानी भगुने टंकी में बैठकर विद्वान हवन में आहुति कर प्रजन्य यज्ञ किया है। राजपुरोहित ने 108 आहुतियां डालने का निवेदन करते हुए कहा कि नौतपा के दौरान सूर्य नारायण देवता की प्रचण्ड गर्मी के कारण चारों तरफ़ त्राहि-त्राहि रखा हैऔर इस प्रचंड गर्मी ने लोगों का जीना बेहाल कर रखा है। मंत्रोच्चारण से इंद्रदेव का आह्वान किया और नौतपा में सूर्य देव से इस प्रचण्ड गर्मी से राहत मिले और अच्छी बारिश हो  सके।

विधि विधान से किया गया अनुष्ठान​

पार्षद पंडित करन शर्मा ने बताया कि बिना पानी के व्यक्ति, जीव-जंतु सहित पूरा संसार सूना है। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार सनातन काल से ही यज्ञ-हवन की परंपरा चली आ रही है। जनकल्याण के उद्देश्य से सच्चे मन से विधि विधान से यदि अनुष्ठान किया जाए तो उस उद्देश्य की पूर्ति होती है।ज्योतिष परिषद एव शोध संस्थान निदेशक ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि प्रजन्य यज्ञ ब्रह्मांडीय प्राण के तीव्र प्रवाह से आस-पास के वातावरण को सक्रिय करता है।

पवित्र गीता में इसे प्रजन्य की 'वर्षा' के रूप में वर्णित किया गया है - जो यज्ञ द्वारा उत्पन्न होती है, जो ब्रह्मांडीय विस्तार में उदात्त क्षेत्रों से बरसती है और जो सभी जीवित प्राणियों के जीवन और शक्ति को बनाए रखती है और हर आयाम में नया उत्साह और प्रसन्नता पैदा करती है।