Jhalawar News: श्मशान की खामोशी में गूंजी एक चीख, बेनाम मुसाफिर की आखिरी यात्रा, रहस्यमयी मौत बेनाम शख्स की कहानी? जानें
इस बेनाम मुसाफिर की जेब खाली थी, कोई पहचान पत्र नहीं, कोई निशानी नहीं। सिर्फ गले में लिपटा एक कपड़ा, मानो किसी याद का टूटा हुआ धागा।
भवानीमंडी का श्मशान, जहां जिंदगी की कहानियां खत्म होती हैं, वहीं एक नई कहानी शुरू हुई, एक अनजान शख्स की। सर्द सुबह की धुंध में लिपटा, लाल जैकेट और सफेद दाढ़ी वाला ये चेहरा, टीन शेड से लटका हुआ, मानो किसी अनकही दास्तां का सवाल बन गया था। क्या ये जीवन से हारकर किया गया आत्मसमर्पण था, या फिर किसी की क्रूरता का नतीजा?
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पुलिस की नजर में ये एक "संदिग्ध मौत" थी, पर गांव के गलियारों में फुसफुसाहटें हत्या की आशंका जता रही थीं। कोई कहता, "बेचारा कहीं से भटक कर यहां आ गया होगा," तो कोई फंदे की गांठ पर शक जताता, "ये खुद तो नहीं लगा सकता।" श्मशान के पुजारी ने बताया कि गुरुवार रात कुछ हलचल जरूर सुनी थी, पर अंधेरे में कुछ साफ नहीं दिखा था।
बेनाम शख्स की कहानी
इस बेनाम मुसाफिर की जेब खाली थी, कोई पहचान पत्र नहीं, कोई निशानी नहीं। सिर्फ गले में लिपटा एक कपड़ा, मानो किसी याद का टूटा हुआ धागा। पुलिस ने तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दीं, उम्मीद में कि कोई इस अनजान चेहरे को पहचान ले। पर जवाब में सिर्फ खामोशी थी।
पहचान की गुत्थी
गांव में चर्चा थी कि ये शख्स कोई साधु था, जो जीवन के मोह-माया से दूर भाग निकला था। दूसरे उसे कोई प्रेमी मानते थे, जिसने प्रेम में धोखा खाकर यहां अपनी जिंदगी का अंत कर लिया। सच्चाई क्या थी, ये कोई नहीं जानता था। शायद ये रहस्य श्मशान की मिट्टी में ही दफन हो जाएगा, या फिर एक दिन ये अनजान चेहरा अपनी कहानी खुद बयान करेगा।