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Navratri Special: धर्म की दीवारें तोड़ता ये दुर्गा मंदिर ! मुस्लिम परिवार करता है पूजा, जानें दिलचस्प इतिहास

Navratri 2024: राजस्थान के जोधपुर में एक ऐसा दुर्गा मंदिर है जहां पीढ़ियों से एक मुस्लिम परिवार मां दुर्गा की पूजा करता आ रहा है। जानिए इस मंदिर का अनोखा इतिहास।  

Navratri Special: धर्म की दीवारें तोड़ता ये दुर्गा मंदिर ! मुस्लिम परिवार करता है पूजा, जानें दिलचस्प इतिहास

देश में नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो चुकी है। देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी है। इसी कड़ी में आज हम आपको मां दुर्गा के ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे जिसकी पूजा मुस्लिम परिवार करता आ रहा है। यहां तक पीढ़ियों से मंदिर के पुजारी भी मुस्लिम है। दरअसल, ये मंदिर कहीं और नहीं बल्कि राजस्थान के जोधपुर में स्थित है। जहां धर्म और जाति से परे मातारानी की सेवा जलालुद्दीन खां कर रहे हैं। उनकी 13 पीढ़ियां मंदिर का कार्यभार संभाल चुके हैं। ऐसे में हम आपको मंदिर से जुड़ा दिलचस्प इतिहास बताएंगे। 

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दुर्गा मंदिर में पूजा करता मुस्लि परिवार

दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह जोधपुर शहर के भोपालगढ़ स्थित बागोरिया गांव में स्थित है। गांव की ऊंची पहाड़ी पर माता रानी का मंदिर है। जहां की देखरेख कई पीढ़ियों से मुस्लिम परिवार करता आ रहा है। मंदिर में मौजूदा पुजारी का नाम जलालद्दीन खां है। यहां पर अक्सर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। वहीं, नवरात्रि के मौके पर मंदिर का नजारा देखते बनता है। स्थानीय बताते हैं कि मंदिर में जो भी शख्स पुजारी बनता है,वह नमाज नहीं पढ़ता है। वहीं, वह पूजा-पाठ के साथ व्रत भी रखते हैं। हालांकि ये कोई नियम जैसा नहीं है। ये लोगों की श्रद्धा पर निर्भर करता है। यहां तक मुस्लिम परिवार नवरात्रि के मौके पर हवन भी आयोजित करवाता है और मंदिर परिसर में ही रहते हैं। 

क्या है मंदिर का इतिहास 

मंदिर के पुजारी जलालुद्दीन ने बताया कि सैकड़ों वर्षों पहले उनके पूर्वज सिंध प्रात में अकाल पड़ने के कारण नये घर की तलश में मालवा जा रहे थे। इस दौरान वह बागोरियां गांव में विश्राम के लिए रुके थे तभी अचानक से काफिले के ज्यादतर ऊंट बीमार पड़ गए। उस रात उनके पूर्वजों को सपने में मां दुर्गा दिखाई दी और उन्होंने कहा कि पास में रखी मूर्ति की भभूत ऊंटों पर लगा दो। उनके पूर्वजों ने ठीक ऐसा ही कुछ किया। कुछ समय बाद ऊंट बिल्कुल स्वस्थ्य हो गए। ये चमत्कार देख उनके पूर्वज  बागोरिया मे बस गए और माता रानी की पूजा करने लगे। तबसे से लेकर अभी तक लगभग 13 पीढ़ियां माता रानी की सेवा करती चली आ रही हैं।