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प्रतापगढ़ कृषि उपज मंडी में श्रम कानून की उड़ रही धज्जियां, श्रमिकों का किया जा रहा शोषण, जिम्मेदार चुप

प्रतापगढ़, प्रतापगढ़ कृषि उपज मंडी राजस्थान की मण्डियों में अपने राजस्व को लेकर ए ग्रेड का तमगा हासिल कर चुकी है. लेकिन यहां आने वाले किसानों और काम करने के वाले मजूदरों के लिए मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है.  

प्रतापगढ़ कृषि उपज मंडी में श्रम कानून की उड़ रही धज्जियां, श्रमिकों का किया जा रहा शोषण, जिम्मेदार चुप

सरकार ने श्रमिकों के हित को बचाने के लिए कई तरह के श्रमिक कानून बनाए है. लेकिन राजस्थान की प्रतापगढ़ कृषि उपज मंडी में श्रमिक कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है. श्रमिको को अपने श्रम का भरपूर पैसा नहीं मिल रहा है. खाने के लिए पूरा भोजन नहीं मिल रहा है. महिलाओं के लिए शौचालय तक की मूलभूत सुविधा नहीं है. व्यापारी मंडल के अध्यक्ष सवालों से बचते नजर आ रहे है.  



राजस्थान की प्रतापगढ़ कृषि उपज मंडी राज्य में राजस्व को लेकर ए ग्रेड का तमगा हासिल है. लेकिन मंडी में आने वाले किसानों और मजदूरों को व्याप्त अव्यवस्थाओं  का सामना करना पड़ता है. स्थानीय व्यापारियों की तानाशाही के चलते मण्डी प्रशासन बोना साबित हो रहा है. वही श्रम विभाग की अनदेखी के चलते मण्डी में खुलेआम श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. श्रम कानून का उल्लंघन कार्यरत श्रमिकों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.



श्रम कानून के मुताबिक मण्डी में जहां प्रति बोरी 50 किलो वजन निर्धारित किया गया है. वही व्यापारी चंद रूपेय बचाने के लिए प्रति बोरी 80 किलो वजन भर रहे है. जो इस भीषण गर्मी के दौर में जानलेवा साबित हो रही है. 

 

जिसकी वजह से हाल ही में श्रमिक (हम्माल) शाकिर पिता मुस्ताक कुरेशी की हदयघात से मौत हो गई. इससे य पता चलता है,  कि 40 डिग्री से अधिक तापमान शरीर को झुलसाने वाले लू के थपेड़ों में 80 किलो की बोरी उठाना श्रमिकों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.  

भरपुर पैसा मिलने के बाद भी मिल रहा अधुरा भोजन

 

सरकार द्वारा राजस्थान की सभी कृषि मंडी में किसान कलेवा योजना को चलाया जा रहा है. इस योजना के तहत मंडी में आये किसानों को पांच रूपये में भरपूर खाने की व्यावस्था की जाती है. खाने का बचा हुआ बाकि रूपये मंडी समिति के द्वारा दिया जाता है. लेकिन प्रतापगढ़ मंडी में योजना भ्रष्टाचार के भेट चढ़ रही है.समिति द्वारा बचे 21.75 रूपये दिए जाने के बाद भी किसानों को अधूरा भोजन मिल रहा है. भोजन गन्दगी में ही परोसा जा रहा. किसानों और हम्मालों के लिये किसान कलेवा योजना के तहत दिये जा रहे भोजन मेन्यू के हिसाब से नही दिया जा रहा है. कृषकों श्रामीकों ने बताया कि चार बाटी और दाल दी जाती है. जबकि नियमानुसार दो सब्जी, आठ रोटी, सर्दी में गुड़ एवं गर्मी में छाछ देने का प्रावधान है. लेकिन हम लोंगो को कई महीनों से दाल बाटी ही दी जा रही है. 

किसानो और श्रमिकों के लिए हो सकता है ये सुधार

  • प्रभावशाली व्यापारियों के इजाजत का इंतजार किए बगैर समय पर नीलामी प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए. तो समय पर सभी कार्य पूर्ण हो सकेगे जिससे की श्रमिक अपना कार्य समय पर पूरा कर अपने घर जा सकेंगे. जिससे की श्रमिकों को शरीरिक और मानसिक आराम मिल सकेगा.

  • मण्डी प्रांगण में डिस्पेंसरी की व्यवस्था की जाए जिससे किसी भी आकस्मिक घटना दुर्घटना होने पर श्रमिको को तुरंत चिकित्सकीय सुविधा प्रदान कर उसकी जान बचाई जा सके.

  • वही मण्डी के पिछला गेट जो की प्रभावशाली व्यापारियों के कब्जे में है उसे खुलवाया जाए. जिससे मण्डी में निकासी सुलभ हो सके जाम की स्थिति से बचा जा सकता है.

 

  • श्रम विभाग की ओर से आकस्मिक मण्डी का निरीक्षण कर यहां कार्यरत श्रमिकों से जानकारी ली जाए. श्रम कानुनों का उल्लघंन करने वाले व्यापारियों के विरुद्ध दण्डात्मक कार्रवाई की जाए.

रिपोर्ट- हारून यूसूफ