मोदी सरकार ने चला राजस्थान में मास्टरस्ट्रोक, जानिए कैसै जातीय समीकरण के आधार पर खेली राजनीति
प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार पद और गोपनीयता की शपथ ली है। उनके साथ 71 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। पिछली बार की तरह इस बार भी मोदी कैबिनेट में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की गई है।
पीएम मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।9 जून को राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह का भव्य आयोजन किया गया था। जिसमें पीएम मोदी समेत 72 मंत्रियों अपने पद की शपथ ली। वहीं इनमें राजस्थान के चार सांसद हैं, जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है। इसमें से दो सांसदों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। जबकि एक ने स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री और एक ने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की है।
मंत्रिमंडल के माध्यम से एक बड़ा संदेश
ॉराजस्थान मंत्रीमंडल के माध्यम से मोदी सरकार ने एक बड़ा संदेश दिया है। जहां, गजेंद्र सिंह शेखावत को कैबिनेट, भूपेंद्र यादव को कैबिनेट, अर्जुन राम मेघवाल को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और भागीरथ चौधरी को राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।आपको बता दें की पिछली बार भी इसी तरह का जातीय समीकरण साधा गया था। क्योंकि इस बार जाट नेता और राज्यमंत्री रहे कैलाश चौधरी चुनाव हार गए हैं।राजस्थान में बीजेपी की तरफ से सिर्फ एक ही जाट भागीरथ चौधरी को चुनाव में जीत मिली है। शेखावटी और नागौर से सभी जाट प्रत्याशी चुनाव हार जाने के बाद जाट वोटर्स के लिए एक बड़ा संदेश भागीरथ के माध्यम से दिया गया है।मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले चार सांसदों में गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल और भागीरथ चौधरी का नाम शामिल है। इन चारों सांसदों को कैबिनेट में जगह मिलना इत्तेफाक नहीं बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक और जातीय समीकरण पर आधारित है।और यह चारों नेता इसमें फिर भी होते दिखते हैं।
राजपूत समाज को साधने की कोशिश
जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार तीसरी बार कैबिनेट मंत्री बने हैं. वैसे तो गजेंद्र सिंह शेखावत मोदी और शाह दोनों के नजदीकी मानें जाते हैं। लेकिन राजस्थान की राजनीति में गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत समाज से आने वाले सौम्य छवि के नेताओं में आते हैं। वह राजपूत समाज के बड़े नेता हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान गुजरात के पुरुषोत्तम रुपाला द्वारा दिए गए बयान के बाद देश में राजपूत समाज में जो नाराजगी दिखी थी। उसे कम करने में गजेंद्र सिंह शेखावत और राजनाथ सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी।ऐसे में मारवाड़ की सियासी समीकरण साधने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्री बनाना सही फैसला है।
दलित समुदाय को खुश करने की कोशिश
अर्जुन राम मेघवाल लगातार चौथी बार बीकानेर से सांसद बने हैं. वहीं उन्हें इस बार स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया है. अर्जुन राम मेघवाल मारवाड़-नहरी क्षेत्र के अकेले प्रमुख दलित चेहरा हैं. ऐसे में राजस्थान की राजनीति में वह बिल्कुल फिट बैठते हैं. अर्जुन राम मेघवाल का विरोध भी सबसे कम है. ऐसे में दलित समुदाय को खुश करने के लिए मेघवाल को मंत्री पद मिलना निश्चित था.
जाट समुदाय पर पूरा फोकस
भागीरथ चौधरी अजमेर से सांसद हैं। हालांकि इससे पहले विधानसभा चुनाव में हार मिलने से वह जब फूट-फूट कर रोए थे तो तभी नरेंद्र मोदी ने उन पर भरोसा जताया था और उन्हें आगे बढ़ने को कहा था। भागीरथ चौधरी ने इसे सिद्ध करके भी दिखाया है।आपको बता दें भागीरथ चौधरी जाट समाज से आते हैं।वहीं राजस्थान में आरक्षण के मुद्दे पर कुछ जाट समाज पहले से ही नाराज है। ऐसे में भागीरथ चौधरी को मंत्री पद देना लाजमी है और वह साफ छवि के नेता हैं।
पूर्वी राजस्थान में बड़ा संदेश, यादव वोटर्स पर नजर
अलवर से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले भूपेंद्र यादव को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। पूर्वी राजस्थान की पांच में से चार सीटों पर बीजेपी की हार हुई है। सिर्फ अलवर ही बच पाई है। इसलिए पूरी राजस्थान में यादव और अन्य ओबीसी वोटर्स पर अपनी पकड़ बनाने के लिए भूपेंद्र को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई है।