Ajmer में 4 साल से छिपा था पाकिस्तानी, खुफिया एजेंसियां बेखबर! बेंगलुरु पुलिस ने खोला राज, जानें पूरा मामला
बेंगलुरु पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक अन्य व्यक्ति परवेज की निशानदेही पर ये मामला सामने आया। परवेज के खुलासे के बाद बेंगलुरु पुलिस अजमेर पहुंची और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर रहमान के कमरे की तलाशी ली।
राजस्थान के अजमेर शहर में एक पाकिस्तानी युवक की चार साल से मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। हैरानी की बात ये है कि इतने लंबे समय तक पुलिस और खुफिया विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। ये युवक, जिसकी पहचान सफीफुर्र रहमान के रूप में हुई है, "प्रेस" लिखी एक काली एक्टिवा पर घूमता था और खुद को मीडियाकर्मी बताता था। वे शफीक नाम का आधार कार्ड इस्तेमाल कर जोन्सगंज इलाके में किराए के मकान में रह रहा था।
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पाकिस्तानी युवक का भंडाफोड़
बेंगलुरु पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक अन्य व्यक्ति परवेज की निशानदेही पर ये मामला सामने आया। परवेज के खुलासे के बाद बेंगलुरु पुलिस अजमेर पहुंची और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर रहमान के कमरे की तलाशी ली। कमरे से कई दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। फिलहाल पुलिस ने मकान मालिक से पूछताछ के बाद कमरे को सील कर दिया है और रहमान को बेंगलुरु ले जाया गया है।
किराएदार निकला पाकिस्तानी नागरिक
मकान मालिक राजेश टोंक ने बताया कि उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनका किराएदार पाकिस्तानी नागरिक है। ये खबर सुनकर उनका परिवार सदमे में है। उन्होंने बताया कि रहमान का व्यवहार सामान्य था और वे कभी मीडियाकर्मी तो कभी मजदूर बनकर घूमता था।
सुरक्षा व्यवस्था पर खड़े हुए सवाल
इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा नेता और नगर निगम के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने इसे पुलिस और खुफिया विभाग की विफलता बताया है। उन्होंने अजमेर में रह रहे सभी रोहिंग्या और खानाबदोश लोगों की पहचान की मांग की है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि कोई और विदेशी नागरिक अवैध रूप से शहर में न रह रहा हो।