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आ गई महामुकाबले की घड़ी, कौन करेगा किसके आगे मुश्किल खड़ी, वसुंधरा और गहलोत का क्या होगा ?

राजस्थान में दूसरे चरण के लिए कल मतदान है. सभी प्रत्याशी कमर कस कर मैदान में उतर चुके हैं. जनता को लुभाने के लिए तमाम दिग्गज मैदान में उतरे. तमा वादे हुए, तमाम तरीके आज़माए गए. रोड शओ, जनसभाएं, डोर-टू-डोर जनसम्पर्क हर तरीका लगभग आजमाया जा चुका है. और अब कल वो घड़ी है जब जनता जनार्दन अपने पसंद के प्रत्याशी की किस्मत पर अपने मत की मुहर लगाएगा. दूसरा चरण बेहद हाईप्रोफाइल चेहरों से भरा है, इसीलिए इस बार की फाइट भी हाईवोल्टेज है.

आ गई महामुकाबले की घड़ी, कौन करेगा किसके आगे मुश्किल खड़ी, वसुंधरा और गहलोत का क्या होगा ?

राजस्थान में दूसरे चरण के लिए कल मतदान है. सभी प्रत्याशी कमर कस कर मैदान में उतर चुके हैं. जनता को लुभाने के लिए तमाम दिग्गज मैदान में उतरे. तमा वादे हुए, तमाम तरीके आज़माए गए. रोड शओ, जनसभाएं, डोर-टू-डोर जनसम्पर्क हर तरीका लगभग आजमाया जा चुका है. और अब कल वो घड़ी है जब जनता जनार्दन अपने पसंद के प्रत्याशी की किस्मत पर अपने मत की मुहर लगाएगा. दूसरा चरण बेहद हाईप्रोफाइल चेहरों से भरा है, इसीलिए इस बार की फाइट भी हाईवोल्टेज है. इस चरण में ही राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे भी मैदान में हैं. इसमें अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे अपने-अपने बेटों को जिताने के लिए उनकी सीटों पर डेरा जमाए हैं. साथ ही दूसरे चरण में कुछ हाईप्रोफाइल सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला रोमांचक है. कई बड़े नामों की प्रतिष्ठा दांव पर है.

13 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

दूसरे चरण में 13 सीटों पर चुनाव है. राजस्थान का यह फाइनल चरण है.  26 अप्रैल यानी कल वोटिंग होनी है. दूसरे चरण की 13 सीटों पर 152 उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी लगातार दो लोकसभा चुनाव से क्लीन स्वीप कर रही है. वहीं कांग्रेस इस बार अपना खाता खोलने के लिए बेताब नजर आ रही है.

दो पूर्व सीम की साख दांव पर

राजस्थान के इस अंतिम और फाइनल मैच में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे भी मैदान में हैं. इसमें अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे अपने-अपने बेटों को जिताने के लिए उनकी सीटों पर डेरा जमाए हुए हैं. इसके अलावा दूसरे चरण में कुछ हाईप्रोफाइल सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला रोमांचक है. इसके चलते राजस्थान चुनाव के दूसरे चरण की सीटों पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. देखना है कि 2024 के चुनाव में राजस्थान का सियासी ऊंट किस करवट बैठता है.

इन सीटों पर चुनाव कल

राजस्थान के दूसरे चरण में टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा सीट पर वोटिंग होनी है. बीजेपी इन 13 सीटों पर चुनाव मैदान में है जबकि कांग्रेस 12 सीटों पर लड़ रही है. बांसवाड़ा में BAP की तरफ से राजकुमार रोत मैदान में हैं. दूसरे चरण में ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी जंग है, तो बाड़मेर में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है.

पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने लगाई गणित

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे. इस बार वैभव को जोधपुर की जगह पर जालौर सीट से कांग्रेस ने मैदान में उतारा है. बीजेपी ने पूर्व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी पर भरोसा जताया है. जालौर सीट पर अशोक गहलोत ने अपने पुराने अनुभव और मशीनरी को झोंक रखा है. वैभव के लिए इस सीट पर जीत की राह उतनी आसान नहीं है, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी थी. जालौर सिरोही सीट पर माली समाज बड़ी संख्या में है. माली समाज के यहां एक लाख से सवा लाख के बीच मतदाता हैं, जो परंपरागत बीजेपी के वोटर माने जाते हैं. पिछला चुनाव कांग्रेस यहां पर 2 लाख 61 हजार वोटों से हारी थी. इस बार ये तय है कि वोट तो बंटेंगे, लेकिन कितने? सांचौर को जिला बनाने का फायदा भले सुखराम विश्नोई को नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस को जरूर मिल रहा है. इसी के चलते गहलोत ने अपने बेटे वैभव को चुनाव मैदान में खड़ा किया है. ताकि सियासी लाभ लिया जा सके.

वसुंधरा राजे की भी साख दांव पर

वहीं वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह की बात की जाये तो वो झालावाड़ लोकसभा सीट पर पांचवीं बार मैदान में हैं. वो चार बार सांसद रह चुके हैं. दुष्यंत के सामने इस बार भी मुकाबला करने वाला मजबूत प्रत्याशी नहीं है. गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रमोद भाया जैन की पत्नी उर्मिला चुनावी मैदान में हैं. वसुंधरा के चुनावी प्रचार की कमान संभालने के बाद झालावाड़ इलाके में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ गई है. यह इलाका वसुंधरा राजे का मजबूत गढ़ माना जाता है. वसुंधरा ने जब से सियासत में कदम रखा है, कांग्रेस अभी तक सेंधमारी नहीं कर सकी है.

रवींद्र सिंह भाटी बिगाड़ न दे खेल !

बाड़मेर लोकसभा सीट राजस्थान की सबसे चर्चित सीटों में से एक है. इसके पीछे वजह हैं यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रविंद्र सिंह भाटी. भाटी के नामांकन से लेकर रैलियों तक जिस तरह की भीड़ जुट रही है, उससे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए टेंशन बन गई है. यहां बीजेपी से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर उम्मेदा राम बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है. उम्मेदा राम बेनीवाल की भी यहां अच्छी पकड़ है. ऐसे में रविंद्र भाटी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.