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सत्ता पक्ष के साथ क्यों खड़े हुए रवींद्र भाटी, क्या है इसकी वजह, जानें सिर्फ एक क्लिक में

Rajasthan Budget Session 2024: राजस्थान विधानसभा में सत्र के दौरान कांग्रेस नेता हरीश चौधरी के बयान के बाद हंगामा शुरू हो गया. जहां लगातार  सरकार घेरने वाले रविंद्र भाटी सरकार के साथ खड़े दिखाई दिए. 

सत्ता पक्ष के साथ क्यों खड़े हुए रवींद्र भाटी, क्या है इसकी वजह, जानें सिर्फ एक क्लिक में

राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र के दौरान कांग्रेस नेता हरीश चौधरी ने अपने बात रखते हुए  'ठाकुर का कुआं' नाम की कविता पढ़ी. जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. इस समय कांग्रेस नेता हरीश चोधरी सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहे है. कांग्रेस नेता ने सरकरा पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार के इस बजट में सब कुछ ठाकरों के लिए है. हमारे लिए कुछ नहीं है. जिसके बाद सतन में हंगामा शुरू हो गया और सरकार के कामों पर लगातर सवाल खड़े करने वाले निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी भी इस मुद्दे में सरकार का साथ देते नजर आए.

‘बजट बड़े-बड़े महल और ठाकुरों के लिए है' 

कांग्रेस नेता हरीश चौधरी ने कविता के माध्यम से कहा, ‘चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का. भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का. बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी. फसल ठाकुर की, कुआं ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के. आपके लिए क्या है? गांव? शहर? देश? बजट को देखकर तो लगता है कि यह बड़े-बड़े महल और ठाकुरों के लिए है.' जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. 

रविंद्र सिंह भाटी ने कांग्रेस पर कसा तंज

फिर सदन में शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा, 'कांग्रेस विधायक ने महल और किलों की बात की है तो मैं कहना चाहूंगा कि ये किले, यह महल शौर्य और गाथा के प्रतीक हैं. यह किले, ये महल अर्पण, समर्पण और तर्पण के प्रतीक हैं. जब कभी मुगल आक्रांताओं के हमले हुआ करते थे तो हमारी बहन-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए यही किले और महल काम आया करते थे. यह किले मुश्किल समय में उन शरणगतों को शरण देने के लिए काम आया करते थे.' उन्होंने आगे कहा, 'राजस्थान की जब बात की जाती है तो कहा जाता है कि पग पग सूरां देवली, पग पग सतियां थान, मन दरपे पग मेलता, रंग है राजस्थान. ऐसा राजस्थान है मेरा. ऐसा रंग रंगीला, ऐसा हरियाला, ऐसा अपनापन-भाईचारे और प्रेम वाला राजस्थान है. मगर, राजस्थान की उसी विधानसभा में जब ऐसी बातें होनी लग जाएं तो हम सभी के लिए यह पीड़ा की बात है. इस सदन की एक गरिमा है. हम सभी का नैतिक धर्म और जिम्मेदारी है कि उसे बरकरार रखें. देश को जातियों में बांटना उचित नहीं ठहराया जा सकता है. कोई भी किसी जाति या धर्म से हो हमें सभी का सम्मान करना है. हमें यह सिखाया गया है.'