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राजस्थान में क्यों हो रही भील प्रदेश की मांग, जानिए BAP विधायकों ने क्या बताया

Bhil Pradesh: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में चार राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग फिर जोरों से उठाई जा रही है।

राजस्थान में क्यों हो रही भील प्रदेश की मांग, जानिए BAP विधायकों ने क्या बताया

Bhil Pradesh: राजस्थान में 'भील प्रदेश' के नाम से अलग राज्य की मांग ने फिर जोर पकड़ा है। आदिवासी समुदाय ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर नये राज्य गठन की मांग की है। नये राज्य में राजस्थान के 33 में से 12 जिलों को भी शामिल करने की मांग की गयी है। बीएपी विधायकों ने इस बारें में अपनी बात रखी और ये भी बताया कि अब अगला कदम क्या होने वाला है।

बीएपी विधायकों ने बताई भील प्रदेश की जरूत

बीएपी विधायक ने बताया कि भील प्रदेश की मांग कोई छोटी मांग नहीं है ये काफी बड़ी मांग हैं। और ये काफी समय से उठाई जा रही है। जब भारत रफ्तार के इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि आप भील प्रदेश की मांग क्यों उठा रहें हैं तो उनका कहना था कि आजादी के पहले से ही भील खंड था। साथ ही उन्होनें बताया कि इस मांग को उठाने का बड़ा मकसद है कि आदिवासी समाज का भी विकास हो सके। शैक्षणिक और संस्कृति दोनों ही स्तर पर आदिवासी समाज भी आगे आ सकें। अलग अलग राज्यों में जो आदिवासी समाज रह रहें है उनके साथ सरकारें भेद भाव करती हैं।

क्या है भील प्रदेश?

पश्चिमी भारत में एक अलग आदिवासी राज्य की मांग पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने रखी थी। BTP का गठन 2017 में गुजरात में हुआ था, जिसका मुख्य एजेंडा यही था।भील समुदाय की मांग है कि चार राज्यों में से 49 जिले अलग करके भील प्रदेश बनाया जाए। यह जलियांवाला बाग से छह साल पहले हुए मानगढ़ हत्याकांड के बाद हुआ था और इसे कभी-कभी ‘आदिवासी जलियांवाला’ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 17 नवंबर 1913 को राजस्थान-गुजरात सीमा पर मानगढ़ की पहाड़ियों में ब्रिटिश सेना द्वारा सैकड़ों भील आदिवासियों को मार डाला गया था। हालांकि बीएपी सांसद राजकुमार रोत कहते हैं कि 1913 में आदिवासियों का बलिदान सिर्फ़ भक्ति आंदोलन के लिए नहीं था, बल्कि भील प्रदेश की मांग के लिए था।

ब्यूरो रिपोर्ट राजस्थान