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बदायूं में सपा को बड़ा झटका, कई नेताओं ने थामा बीजेपी का दामन, कितना होगा नुकसान ?

बदायूँ में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है, सैदपुर और फैजगंज बेहटा कस्बे के चैयरमैन सहित जिले की कई बड़ी हस्तियों ने भाजपा का दामन थाम लिया। ऊत्तरप्रदेश कें परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की अगुआई में जनपद के बिसौली क्षेत्र में हुए एक कार्यक्रम में बदायूँ के कई नामचीन लोगों ने भाजपा का दामन थाम लिया है।जिनमें सैदपुर कस्बे के चैयरमैन इशरत अली खान और फैजगंज बेहटा कस्बे के चैयरमैन इसरार अली शामिल हैं।

बदायूं में सपा को बड़ा झटका, कई नेताओं ने थामा बीजेपी का दामन, कितना होगा नुकसान ?

बदायूँ में समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है, सैदपुर और फैजगंज बेहटा कस्बे के चैयरमैन सहित जिले की कई बड़ी हस्तियों ने भाजपा का दामन थाम लिया। ऊत्तरप्रदेश कें परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की अगुआई में जनपद के बिसौली क्षेत्र में हुए एक कार्यक्रम में बदायूँ के कई नामचीन लोगों ने भाजपा का दामन थाम लिया है।जिनमें सैदपुर कस्बे के चैयरमैन इशरत अली खान और फैजगंज बेहटा कस्बे के चैयरमैन इसरार अली शामिल हैं।

1150 लोगों ने ली बीजेपी की सदस्यता

इसके अलावा बहुत से सभासदों और पूर्व सभासदों ने भी भाजपा का दामन थामा, कुल मिलाकर कार्यक्रम में 1150 लोगों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की इनमे से अधिकतर संख्या मुस्लिम समाज के जनप्रतिनिधियों की है।इस मौके पर परिवहन मंत्री ने कहा कि भाजपा के जन कार्यो की वजह से लोग बीजेपी को पसंद कर रहे हैं और सदस्य बन रहे हैं बदायूँ के लोग इस बार दुर्विजय सिंह शाक्य को सांसद बनाने कें लिय एक जुट हों रहे हैं।

सपा से आदित्य यादव मैदान में

बदायूं में प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला है। सपा, बीजेपी और बसपा के प्रत्याशियों में सपा से आदित्य यादव चुनाव मैदान में है ऐसे में सपा नेताओं का बीजेपी का दामन थामना सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है,चुनाव से पहले इस तरह के बदलाव से पार्टी में हलचल की स्थति है लेकिन देखना होगा कि इस तरह दल बदलने से सपा को कोई नुकसान होता है या नहीं।

67 सालों में दो बार जीती बीजेपी

बदायूं लोकसभा सीट सपा का गढ़ मानी जाती है ऐसे में ये दल बदलने वाले नेता उसको कितना नुकसान पहुंचा पाएंगे ये देखने वाली बात होगी इस सीट पर भाजपा पिछले कुछ सालों की बात करें तो करीब 67 वर्षों में दो बार ही बीजेपी को यहां जीत हांसिल हुई है इसके अलावा ज्यादातर यहां सपा का कैंडिडेट ही चुनाव जीता है एक बार 1991 में राम लहर के दौरान यहां बीजोपी ने जीत हांसिल की तो दूसरी बार 2019 में मोदी लहर के दौरान ये सीट भाजपा के पाले में चली गई ऐसे में सपा से भाजपा ज्वाइन करने वाले नेता सपा को कितना नुकसान और भाजपा को कितना फायदा पहुंचा पाते हें ये देखना होगा।