Independence Day 2024: कहानी ‘बागी बलिया’ की, देश के आज़ाद होने से पहले कैसे आजाद हुआ यूपी का बलिया जिला
1942 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बंबई (मुंबई) में नेताओं की गिरफ्तारी के बाद बलिया में कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1942 में बलिया देश का पहला ऐसा जिला बना जिसने तिरंगा फहराया। इसीलिए बलिया को बागी बलिया भी कहा जाता है। बलिया का स्वतंत्रता संग्राम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
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1942 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बंबई (मुंबई) में नेताओं की गिरफ्तारी के बाद बलिया में कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। इस संबंध में ब्रिटिश सरकार के एमेरी ने हाउस ऑफ कॉमन्स में बयान दिया था कि कांग्रेस के नेता रेलवे को उखाड़ फेंकना चाहते हैं और पुलिस थानों पर कब्जा करना चाहते हैं। इसीलिए इन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन
इसके बाद पूरे जिले के कांग्रेसी एकत्र हुए और ब्रिटिश सरकार के इस फैसले का विरोध करने लगे। ये लोग जगह-जगह इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। इसके साथ ही पूरे जिले में रैलियां और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
तभी 12 अगस्त को लालगंज और 13 अगस्त 1942 को दोकटी में घोषणा की गई कि 14 अगस्त को बैरिया थाने पर कब्जा कर लिया जाएगा। इसी परिप्रेक्ष्य में 14 अगस्त को क्षेत्र नायक के नेतृत्व में बजरंग आश्रम बहुआरा में 300 लोग एकत्र हुए और झंडा फहराकर शपथ ली कि बैरिया थाने पर कब्जा किए बिना हम पीछे नहीं हटेंगे।
रामजन्म पांडेय ने मोर्चा संभाला
इसके बाद इन लोगों ने बहुआरा गांव निवासी भूप नारायण सिंह को अपना कमांडर बनाया और बैरिया की ओर चल पड़े। एक खेत में पहुंचकर फिर से शपथ दोहराई गई और कहा गया कि जो चाहे घर जा सकता है। लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि वे घर वापस लौटेंगे। इसी बीच कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता वहां पहुंचे और थाने पर कब्जा करने या न करने को लेकर बहस शुरू कर दी। इस बहस को छोड़कर बहुआरा गांव निवासी रामजन्म पांडेय ने मोर्चा संभाला और वहां से थाने की ओर चल पड़े। उनके पीछे पूरी जनता चल पड़ी।
14 अगस्त 1942 को फहराया तिरंगा
थाने पहुंचकर कमांडर भूप नारायण सिंह और उनके कुछ साथी अंदर गए और तत्कालीन थाना प्रभारी काजिम हुसैन के पास जाकर उन्हें वहां से चले जाने को कहा। थाना प्रभारी काजिम हुसैन ने कहा कि मैंने आपकी अधीनता स्वीकार कर ली है, आप चाहें तो थाने पर अपना तिरंगा फहरा सकते हैं। मुझे चार दिन का समय दीजिए। मैं और सिपाही अपने परिवारों के साथ यहां से चले जाएंगे। इस तरह 14 अगस्त 1942 को बिना किसी खून-खराबे के बैरिया थाने पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया गया।