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यूपी में योगी फैक्टर पर उठ रहे सवाल, लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी का मंथन

लखनऊ ब्यूरो, लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों में बीजेपी ने 36 सीटे और कांग्रेस और सपा ने 43 सीटों पर जीत हासिल की है. सपा और कांग्रेस को मिली बढ़त के बाद बीजेपी में आत्ममंथन शुरू हो गया. वहीं यूपी में योगी सरकार के कामों और योगी फैक्टर को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे है. 

यूपी में योगी फैक्टर पर उठ रहे सवाल, लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी का मंथन

यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी हार के कारणों पता लगाने में लगी है. यूपी बीजेपी लगातार आत्ममंथन कर रही है. कुछ लोगों का कहना है कि यूपी में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का मुस्लिम-यादव और पिछड़ा दलित समीकरण को साधने का काम सफल हो गया. साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल का बीच चुनाव में ये कहना कि चुनाव जीतने के बाद बीजेपी यूपी से सीएम योगी को पद से हटा देगी. जैसे एमपी में शिवराज सिंह चौहान को हटाया गया था. इसका असर भी यूपी में देखने को भी मिला. कुछ ऐसे ही कारणों से सोशल मीडिया में अचानक ऐसे चुटकुले और मीम्स दिखाई देने लगे हैं जिन्हें देखकर लगता है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इन चुनावों  में बीजेपी की हार के लिए जिम्मेदार बन गए हैं.इस बार चुनाव में हारने वाली साध्‍वी निरंजन ज्‍योति और बहुत कम वोटों से जीतने वाले साक्षी महाराज के बयानों का भी सहारा लिया जा रहा है. जिन्‍होंने यूपी के चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की वजह को पार्टी के अंतर के भितरघात का आरोप लगाया है.

  • पार्टी में सीएम योगी का कद

आज की भाजपा में आप योगी के कद को किसी से भी कम नहीं कर सकते है. उनकी लोकप्रियता और डिमांज को इश बात से समझ सकते हैं. कि बाजेपी में सबसे ज्यादा 206 रैली करने वाले पीएम मोदी है. वहीं सीएम योगी ने 204 रैलियां की है. चुनाव के समय में अलग-अलग प्रदेश के सीएम योगी को प्रचार के पत्र लिख कर बुलाते है. उनकी कार्यशैली को देश को कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने फॉलो किया. विपक्षी शासन वाले राज्यों में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए बुलडोजर बाबा का उदाहरण देते है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक अलग-अलग कारणों से उनकी चर्चा होती रहती है. उनके कामों की तारीफ तो पीएम मोदी ने भी कई बार चुनावी मंचो से की है. 

  • यूपी में सीएम योगी का कद 

यूपी में एक समय था जब राज्य के पूर्वी इलाके में बीजेपी पार्टी के सामानांतर योगी की पार्टी हिंदू वाहिनी काम करती थी. 20 साल पहले तक योगी अपना चुनाव घोड़ा मय सवार वाले चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ते थे. योगी से पहले गोरखनाथ मठ महंत अवैद्यनाथ संसद का चुनाव लड़ते थे और योगी विधायकी का. अगर गोरखपुर के आस पास में बीजेपी के द्वारा मठ के पसंद के प्रत्य़ाशी नहीं खड़ी करती तो उसे हिंदू युवा वाहिनी के मजबूत प्रत्याशी का सामना करना होता था. मठ की ओर ऐसी व्यवस्था कर दी जाती थी कि गोरखपुर में एक नारा मशहूर हो गया कि गोरखपुर में रहना है तो योगी योगी कहना है.

  • योगी के समर्थक क्यों है नाराज

योगी के समर्थक बीजेपी से नाराज होने की कई वजह है. समर्थकों का कहना है कि योगी के साथ बीजेपी में सौतेला व्यवहार किया जाता है. जिस तरह से योगी पार्टी के लिए जी जान लगा देते हैं  उस तरह चुनाव कैंपेन को  चुनाव कैंपेन को लेकर फुल फ्लेज्ड पावर नहीं दी जाती है. यहां तक कि उनके समर्थकों को टिकट भी नहीं मिल पाता है.  योगी समर्थकों की नाराजगी इस बात को लेकर रहती है कि योगी को अपने पसंद के अधिकारियों तक की नियुक्ति के पावर नहीं मिलता है. लेकिन कभी भी सीएम योगी ने सार्वजनिक जीवन में इस तरह की नाराजगी नहीं जताई है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कई ऐसे नेता हैं जो योगी को महत्व नहीं देते रहे हैं. महिला खिलाड़ियों से दुर्व्यवहार के आरोपी नेता ब्रजभूषण शरण सिंह सीधे बुलडोजर की कार्रवाई के बहाने योगी आदित्यनाथ की आलोचना करते रहते हैं. इसके अलावा मोदी सरकार के मजबूत होने के बाद योगी को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा. ये बात राजपूत समाज के बीच फैली हुई है.