Uttar Pradesh by-elections: योगी बनाम अखिलेश, यूपी उपचुनाव में जातिगत समीकरण और मतदान प्रतिशत !
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मतदान प्रतिशत और प्रमुख दलों के समीकरण। बीजेपी और सपा दोनों के लिए ये चुनाव बेहद अहम है, जानिए किस सीट पर कितना हुआ मतदान और क्या हैं आगे के समीकरण।
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर बुधवार को उपचुनाव हुआ। यह चुनाव बीजेपी और सपा दोनों के लिए विरासत बचाने का चुनाव बन गया है। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने 9 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हैय़ ऐसे में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 23 नवंबर को होगा। इसी बीच यहां देखें 9 सीटों में कितने फीस दिए मतदान हुआ।
यूपी चुनाव में हुआ तो कुल मतदान
कटेहरी विधानसभा में 49.43% मतदान
सीसामऊ विधानसभा में 40.29% मतदान
खैर विधानसभा में 39.00% मतदान
करहल विधानसभा में 44.64% मतदान
मझवां विधानसभा में 43.64% मतदान
कुंदरकी विधानसभा में 50.03% मतदान
गाजियाबाद विधानसभा में 27.44% मतदान
मीरापुर विधानसभा में 49.06% मतदान
फूलपुर विधानसभा में 36.58% मतदान
सपा-बीजेपी के लिए क्यों जरूरी उपचुनाव?
दरअसल 9 सीटों पर हो रहा उपचुनाव इस बार कैंडिडेट की हार जीत नहीं बल्कि अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की साख का सवाल बन गया है। उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों का रुपरेखा तय करेंगे। यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र में सीएम योगी का बाटेंगे तो काटेंगे का नारा चर्चा का विषय बना हुआ है तो वही अखिलेश यादव पीडीए फार्मूले के साथ मैदान में हैं। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने दम दिखाते हुए बीजपी का विजई रथ रोक दिया था अब उनके सामने चुनौती है कि वही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। उपचुनाव में बसपा ने प्रत्याशी उतार मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। बता दें, नौ सीटों में से चार पर सपा तो 5 पर एनडीए काबिज थी।
उपचुनाव में भारी रहा जातिगत कार्ड
अखिलेश यादव ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दाव लगाया है तो बीजेपी ने ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने पांच ओबीसी तो एक दलित और तीन अगड़ी जाति के उम्मीदवार उतारे हैं। इससे इतर समाजवादी पार्टी ने चार मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया है।तीन ओबीसी दो दलित उम्मीदवार भी सपा ने उतारे हैं।
23 नवंबर को अटकलों पर लगेगा विराम
बहरहाल, अखिलेश यादव और सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनाव को अपने पक्ष में करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी है। खैर अब यह वोटर्स के हाथों में है कि वह किस पार्टी पर अपना भरोसा जताते हैं। कौन किसका खेल बिगड़ेगा यह तो देखने वाली बात होगी।
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