Donald Trump के राष्ट्रपति बनने से भारत को होगा नुकसान या फायदा? वीजा से लेकर चीन विवाद तक किस ओर होगा रुख!
भारत और चाइना के बीच रिश्तों की खबर देश के साथ ही विदेश में भी है। चीन को लेकर भारत की चिंताओं का रुख ट्रंप से मेल खाता है। ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और बेहतर और मजबूत होने की संभावनाएं हैं।
अमेरिकी के राष्ट्रपति चुनाव में ने जीत दर्ज की है और उन्होंने डेमोक्रेटिक कैंडिडेट कमला हैरिस को हराया है। डोनाल्ड ट्रंप के भारत से रिश्तों के खूब चर्चे रहते हैं। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप के जीत हासिल करने से भारत को क्या फायदा या नुकसान होगा, चलिए जानते हैं।
इकोनॉमिक और ट्रेड पॉलिसीज में फायदा
डोनाल्ड ट्रंप की लीडरशिप में प्रशासन साफतौर पर अमेरिका केंद्रित ट्रेड पॉलिसीज पर ही जोर देगा। साथ ही भारत पर व्यापार बाधाओं को कम करने और टैरिफ का सामना करने का दबाव डालेगा। ऐसे में भारत का आईटी, फ़ार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल क्षेत्र का निर्यात बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी साल सितंबर में ट्रंप ने आयात शुल्क के मामले में भारत को एब्यूजर यानी दोहन करने वाले की संज्ञा दी थी। इसके बावजूद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें शानदार व्यक्ति बताया था। भारतीय प्रोडक्ट्स के लिए अमेरिका एक बहुत बड़ा बाजार है। आंकड़ों को देखें, तो साल 2023-24 में भारत ने अमेरिका से 42.2 बिलियन डॉलर की वस्तुओं का आयात किया था. वहीं, भारत ने अमेरिका में तकरीबन 77.52 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था।
रक्षा-सुरक्षा को लेकर
भारत और चाइना के बीच रिश्तों की खबर देश के साथ ही विदेश में भी है। चीन को लेकर भारत की चिंताओं का रुख ट्रंप से मेल खाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग और बेहतर और मजबूत होने की संभावनाएं हैं। पिछली बार ट्रंप के ही कार्यकाल में ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी क्वाड को मजबूत किया गया था।
इमिग्रेशन और H-1B वीजा पॉलिसीज
इमिग्रेशन को लेकर डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिबंधात्मक नीतियों, विशेष रूप से H-1B वीजा प्रोगाम ने अमेरिका में भारतीय प्रोफेशनल्स पर काफी ज्यादा प्रभाव डाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसी नीतियों की वापसी से भारतीयों के लिए अमेरिका जॉब मार्केट में नौकरी हासिल करना थोड़ा कठिन हो जाएगा। साथ ही जो भी क्षेत्र भारतीय श्रमिकों पर अधिक निर्भर है, उन पर प्रभाव पड़ सकता है। सख्त इमिग्रेशन कानून भारतीय तकनीकी फर्मों को अन्य बाजारों की खोज करने या फिर डोमेस्टिक मार्केट में अधिक अवसर बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
जियो पॉलीटिकल इपेक्ट
साउथ एशिया में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को भी प्रभावित कर सकती हैं। हाल ही में ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ काम करने की इच्छा तो जताई थी, लेकिन संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए उन्होंने आतंकवाद विरोधी प्रयासों में जवाबदेही पर जोर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में कटौती कर दी थी।