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पहली बार चुनाव लड़ने उतरे महानायक हो गए थे शर्म से पानी-पानी, हुआ था ऐसा हाल !

लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हैं. प्रचार के लिए सभी पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी है और जीत के लिए जी-तोड़ मेहनत करने में भी जुटे हुए हैं तो वहीं जब चुनावों का दौर चल ही रहा है तो कुछ अतीत के किस्से ऐसे भी हैं जो उस समय चर्चा का विषय बने रहे लेकिन आज शायद ही किसी को याद हों कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन प्रयागराज से चुनाव लड़े थे. उनका ऐसा हाल हुआ था कि किसी ने सोचा भी नहीं था. आज कहानी बिग बी की जो कांग्रेस की टिकट पर प्रयागराज से पहली बार चुनाव लड़े थे,न तो उन्होंने बड़े अंतर से चुनाव जीता. बल्कि ऐसी घटनाएं हुई जिसके बाद खुद अमिताभ शर्मा गए.

पहली बार चुनाव लड़ने उतरे महानायक हो गए थे शर्म से पानी-पानी, हुआ था ऐसा हाल !

फैन्स की दीवानगी देखकर अमिताभ को आने लगी शर्म 
साल 1984 में देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा था. उस दौर में अमिताभ बच्चन ने एक से एक सुपरहिट फिल्में देकर सुपरस्टार का तमगा हासिल कर लिया था और राजीव गांधी के कहने पर वह प्रयागराज से चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गए थे. उन्होंने हेमवती नंदन के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया.कहा जाता है उस दौर में जब अमिताभ बच्चन प्रचार के लिए निकलते थे तो लोग उनके दीवाने हो जाते थे. कई बार चुनाव प्रचार के दौरान उन पर युवतियां और महिलाएं दुपट्टे भी फेंक देती थीं. वह जहां भी जाते लड़कियों की भीड़ 'लव यू अमितजी' कहकर उनके पीछे हो लेती. उनकी सभाओं में धीरे-धीरे युवाओं के साथ ही महिलाओं की भीड़ बढ़ने लगी थी. अमिताभ बच्चन ने पत्नी जया बच्चन के साथ भी प्रचार किया था. हालांकि कई बार प्रचार के दौरान फैन्स की दीवानगी देखकर अमिताभ को शर्म आने लगी थी. 

वोटिंग के दिन लिपिस्टक के निशान वाले बैलेट निकले 
आखिरकार वोटिंग के दिन प्रयागराज के लोगों ने जमकर वोटिंग की. जब वोट गिनने की शुरुआत हुई तो बैलेट पर अमिताभ को मिले वोटों के साथ लिपिस्टक के निशान भी मिलने लगे. जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ी वैसे-वैसे लिपिस्टक के निशान वाले बैलेटों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. ऐसे करीब चार हजार बैलेट निकले जिन पर अमिताभ को मिले वोट के साथ लिपिस्टक के निशान भी थे. आखिरकार इन चार हजार वोटों को निरस्त करना पड़ा. इस चुनाव में अमिताभ को 2 लाख 97 हजार 461 वोट मिले थे. वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी भारतीय लोकदल के प्रत्याशी हेमवती नंदन बहुगुणा को मात्र 1 लाख 09 हजार 666 वोट मिले. अमिताभ बच्चन 187795 वोटों से चुनाव जीत गए. हालांकि अमिताभ की राजनीति का यह सफर पांच साल भी पूरे नहीं कर पाया और अमिताभ बच्चन ने राजनीति से किनारा कर लिया. आपको बता दें कि हेमवती नंदन बहुगुणा उस दौर में सबसे मजबूत राजनेता थे. उन्हें हराना बेहद कठिन था.