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Haryana Election: विनेश फोगाट नहीं लड़ पाएंगी विधानसभा चुनाव, सामने आई ऐसी खबर, मच गया कांग्रेस में हड़कंप !

रेलवे से विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के इस्तीफे का मामला तकनीकी पेचीदगियों में फंसता नजर आ रहा है। हाल के दिनों में विनेश और बजरंग की राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं।

Haryana Election: विनेश फोगाट नहीं लड़ पाएंगी विधानसभा चुनाव, सामने आई ऐसी खबर, मच गया कांग्रेस में हड़कंप !

पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया रेलवे की सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस ने विनेश को हरियाणा की जुलाना सीट से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। इस बीच, विनेश और पुनिया के इस्तीफे का मामला तकनीकी पेचीदगियों में फंसता नजर आ रहा है। रेलवे की ओर से अब तक दोनों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।

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रेलवे से विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के इस्तीफे का मामला तकनीकी पेचीदगियों में फंसता नजर आ रहा है। हाल के दिनों में विनेश और बजरंग की राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। 4 सितंबर को रेलवे ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में उनसे उनकी राजनीतिक गतिविधियों के बारे में पूछा गया था। 6 सितंबर को बजरंग और विनेश ने रेलवे में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।

विनेश का रेलवे से इस्तिफा

विनेश ने अपने इस्तीफे में लिखा कि भारतीय रेलवे की सेवा करना मेरे जीवन का एक यादगार और गौरवपूर्ण समय रहा है। अपने जीवन के इस मोड़ पर मैंने खुद को रेलवे सेवा से अलग करने का फैसला किया है और भारतीय रेलवे के सक्षम अधिकारियों को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। रेलवे द्वारा मुझे राष्ट्र की सेवा करने का जो अवसर दिया गया है, उसके लिए मैं भारतीय रेलवे परिवार की सदैव आभारी रहूंगी।

इस्तिफे के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता

इसके साथ ही उन्होंने रेलवे को अपना एक महीने का वेतन देने की बात भी कही है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रही हैं। वह एक महीने का नोटिस नहीं दे रही हैं। विनेश उत्तर रेलवे में ओएसडी स्पोर्ट्स के पद पर थीं। एक तरफ उन्होंने इस्तीफा दिया तो दूसरी तरफ उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ले ली। कांग्रेस ने उन्हें जुलाना सीट से उम्मीदवार भी घोषित किया है।

कहां आ रही है दिक्कत

विनेश का इस्तीफा अभी तक रेलवे ने स्वीकार नहीं किया है। विनेश ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। इसी तरह बजरंग पुनिया का इस्तीफा भी स्वीकार नहीं किया गया है। जब तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हो जाता, तब तक वे दोनों किसी भी तरह का चुनाव लड़ने के पात्र नहीं होंगे।

रेलवे के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी सेवा में रहते हुए इस्तीफा देता है तो उसे तीन महीने का नोटिस देना होता है या फिर वह तत्काल प्रभाव से रेलवे से इस्तीफा दे देता है। अगर तीन महीने के नोटिस पीरियड के दौरान कर्मचारी को दोबारा सेवा में आने का मन करता है तो वह अपना इस्तीफा वापस ले सकता है। इसके विपरीत अगर वह तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता है तो उसके वापस लौटने की संभावना खत्म हो जाती है।

चुनाव लड़ने में कैसी बाधा

अगर विनेश का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है तो वह आगामी हरियाणा चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। जब कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ना चाहता है और वह किसी सरकारी पद पर है तो सबसे पहले उसे इस्तीफा देकर एनओसी लेनी होती है। इसमें वह यह आश्वासन देता है कि वह किसी भी तरह का सरकारी पद या पिछली सेवा नहीं ले रहा है। जब तक उसे एनओसी नहीं मिल जाती, तब तक वह चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है। इसका कारण यह है कि बिना एनओसी के चुनाव के समय रिटर्निंग ऑफिसर उसका आवेदन स्वीकार नहीं करेगा।