Alwar News: आरएसएस सरसंचालक बालनाथ आश्रम पहुंचे, हमारी संस्कृति यज्ञमय हैं, यज्ञ में सपर्मण का भाव होता है- डॉ. भागवत
उन्होंने कहा कि हम यज्ञ में पंच तत्वों के लिए आहुति देते हैं, लेकिन उनके लिए काम करना भी समझना चाहिए। जैसे वृक्षारोपण का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है, क्योंकि वृक्षों ने हमें सब कुछ दिया है, उन्हें नष्ट नहीं करना चाहिए, इसलिए वृक्ष लगाने चाहिए।
आरएसएस सरसंचालक डॉ. भागवत कोटपूतली-बहरोड़ जिले के पावटा के पास बावड़ी स्थित बालनाथ आश्रम आए। इससे पहले उन्होंने आश्रम में चल रहे श्री महामृत्युंजय महायज्ञ में भाग लिया और देश में शांति, सुरक्षा और उन्नति के लिए यज्ञ मंडप में स्थित शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना की। बालनाथ आश्रम में डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि हमारी संस्कृति यज्ञ संस्कृति है। यज्ञ में समर्पण की भावना होती है। हमारे पास जो कुछ भी है, वह वहीं से आएगा, जहां हम दे रहे हैं।
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गरीब और पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए हमें प्रयास करना चाहिए - भागवत
उन्होंने कहा कि हम यज्ञ में पंच तत्वों के लिए आहुति देते हैं, लेकिन उनके लिए काम करना भी समझना चाहिए। जैसे वृक्षारोपण का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है, क्योंकि वृक्षों ने हमें सब कुछ दिया है, उन्हें नष्ट नहीं करना चाहिए, इसलिए वृक्ष लगाने चाहिए। समाज में हमारे जो भाई गरीब हैं, पिछड़े हैं, उनकी उन्नति के लिए हमें प्रयास करना चाहिए। हमारे पास जो कुछ भी है, उन्हें देकर उनका उत्थान करना चाहिए, क्योंकि वे ही सब कुछ हैं, इसलिए हम सुरक्षित हैं।
भारत सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं - भागवत
डॉ. भागवत ने वर्तमान परिस्थितियों में देश के समक्ष उपस्थित संकटों का उल्लेख करते हुए कहा कि संकटों में भारत को नष्ट करने की शक्ति नहीं है। भारत सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है। सनातन भारत में है। सनातन धर्म भारत के साथ है। भारत सनातन धर्म के साथ है। संघ के शताब्दी वर्ष में व्यक्तित्व विकास की चर्चा करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि दुनिया में अनेक विचार हैं और उनका अनुसरण करने वाले लोग भी इसी दुनिया में हैं।
लेकिन उनके पास कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो किसी विचार के जन्म लेने के बाद उसकी सत्यता को सिद्ध करे और सौ साल तक जारी रखे। हमारा ये आशीर्वाद है कि शुरू से लेकर अब तक ऐसे कई लोग हुए हैं जो दिखाई देते हैं। हम उन्हें काम करते हुए देखते हैं, इसलिए उन पर हमारी श्रद्धा है। ऐसा ही एक उल्लेख गुरुदेव के बारे में किया गया है। ये उनका आशीर्वाद है, इसलिए आज के यज्ञ के महत्व को समझते हुए, हम बिना किसी भेदभाव के, बिना जाति देखे, बिना भाषा देखे, बिना प्रांत देखे, इन सभी तरीकों से अपना जीवन जिएं, एक दूसरे के प्रति सद्भावना रखते हुए एक दूसरे की मदद करें, ये भी एक यज्ञ है। इस यज्ञ के बाद, हमें उस यज्ञ को चालू रखना है और इस भारत भूमि की सेवा करना हमारा कर्तव्य है।
गुरुपीठ परिसर में बिल्वपत्र का पौधारोपण
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने गुरुपीठ परिसर में बिल्वपत्र का पौधा रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर क्षेत्रीय संघचालक डॉ. रमेश अग्रवाल, प्रांत प्रचारक बाबूलाल सहित अखिल भारतीय, क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र व प्रांत के वरिष्ठ कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
इस अवसर पर महंत बस्तीनाथ ने राष्ट्र की समृद्धि, सनातन की विजय और सम्पूर्ण हिन्दू समाज की एकता की भावना से सरसंघचालक को स्वर्णजटित सिद्ध श्रीयंत्र भेंट किया तथा प्रतीक चिन्ह और दुपट्टा भेंट कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यज्ञ परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। सम्पूर्ण हिन्दू समाज बिना किसी भेदभाव और छुआछूत के यज्ञ में भाग ले रहा है।
यात्रा के आखिरी दिन सरसंघचालक ने स्वयंसेवक रमेश यादव व आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक परमानंद के घर पर जाकर परिजनों से परिचय किया। परिजनों ने सरसंघचालक का उनके घर आने पर हार्दिक स्वागत किया। सरसंघचालक ने वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक परमानंद के निवास पर निर्माणाधीन मंदिर परिसर के बाहर बिल्वपत्र का पौधा लगाया। इसके बाद वे अलवर कार्यालय पहुंचे और प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ताओं की बैठक में कामकाज की जानकारी ली तथा देर शाम ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।