Churu News: टूटी हड्डियां, बिखरे सपने, टोल नाके की दर्दनाक दास्तान, मौत का तांडव, चीखती-चिल्लाती जिंदगियां, पढ़ें
चश्मदीदों के अनुसार, दोनों गाड़ियां बेतहाशा तेज रफ्तार में थीं। टोल नाके के पास अचानक सामने आई गाड़ी को देख, दोनों ड्राइवरों ने ब्रेक लगाने की कोशिश की, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
चुरू जिले का तारानगर-चूरू सड़क मार्ग। विकास का प्रतीक माना जाने वाला टोल नाका, आज मौत का पर्याय बन गया। एक जबरदस्त भिड़ंत ने इलाके में सनसनी फैला दी। आमने-सामने भिड़ी बोलेरो और मैक्स, मानो दो लोहे के पहाड़ टकरा गए। नतीजा? आधा दर्जन जिंदगियां दर्द और तकलीफ की आगोश में समा गई।
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चीख-पुकार से गूंजा इलाका
चश्मदीदों के अनुसार, दोनों गाड़ियां बेतहाशा तेज रफ्तार में थीं। टोल नाके के पास अचानक सामने आई गाड़ी को देख, दोनों ड्राइवरों ने ब्रेक लगाने की कोशिश की, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। धमाकेदार आवाज के साथ दोनों गाड़ियां एक दूसरे में घुस गईं। लोहे के टुकड़े हवा में उछले, शीशे चकनाचूर हो गए, और चीख-पुकार मच गई।
जमीन पर हुआ इलाज
मौके पर मौजूद लोगों ने फौरन मदद के हाथ बढ़ाए। घायलों को किसी तरह गाड़ियों से निकाला गया और निजी वाहनों व एम्बुलेंस की मदद से तारानगर के उप जिला अस्पताल पहुंचाया गया। मगर यहां भी राहत नहीं मिली। अस्पताल में बेड तक नसीब नहीं हुए। डॉक्टरों ने जैसे-तैसे, जमीन पर ही इलाज शुरू किया।
कब थमेगा ये खूनी खेल?
ये हादसा टोल नाके पर बढ़ते हादसों की कड़ी में एक और कड़ी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि टोल नाके के आसपास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। न गति सीमा का पालन होता है, न ही सड़क की हालत ठीक है। सवाल उठता है कि कब थमेगा ये खूनी खेल? प्रशासन कब जागेगा और कब इन बेकसूर जिंदगियों की कीमत चुकानी बंद होगी?
रिपोर्ट - कौशल शर्मा