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Rajasthan का इकलौता गणेश जी का ऐसा मंदिर, जहां मुस्लिम भी देते है निकाह का निमंत्रण, पीछे छिपा है ये गहरा इतिहास !

डीडवाना का दोजराज गणेश मंदिर 160 साल पुराना है और इसमें भगवान गणेश की 9 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। यह मंदिर एक साधु द्वारा बनाई गई गणेश प्रतिमा की पूजा के लिए स्थापित किया गया था। 

Rajasthan का इकलौता गणेश जी का ऐसा मंदिर, जहां मुस्लिम भी देते है निकाह का निमंत्रण, पीछे छिपा है ये गहरा इतिहास !

इस समय पूरे देश में गणेश महोत्सव मनाया जा रहा है और इस मौके पर देशभर में हर्षोल्लास की लहर है। राजस्थान के डीडवाना में स्थित दोजराज गणेश मंदिर ने इस वर्ष एक महत्वपूर्ण और भव्य आयोजन किया है। यहां पर भगवान गणेश की 9 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है, जो कि राजस्थान की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा है।

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इस प्रतिमा की ऊंचाई और भव्यता इसे विशेष बनाती है, और इसकी तुलना केवल इंदौर में स्थित 'बड़ा गणपति' से की जा सकती है, जो अब तक की सबसे बड़ी गणेश प्रतिमा मानी जाती है। इस अवसर पर, गणेश मंदिर में भगवान गणपति की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है।

मुस्लिम समुदाय के लोग शादी पर देते हैं निमंत्रण

दोजराज गणेश मंदिर की विशेषता केवल उसकी विशाल प्रतिमा तक सीमित नहीं है। मंदिर की मान्यता के अनुसार, यहां पर भगवान गणेश को शादी का पहला निमंत्रण देने से हर कार्य बिना किसी विघ्न के पूरा हो जाता है। यही कारण है कि न केवल हिंदू समुदाय के लोग, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां आकर भगवान गणेश को पहली पात्री चढ़ाते हैं और अपने निकाह का निमंत्रण देते हैं।

160 साल पुराना है ये मंदिर

भगवान गणेश की 9 फीट ऊंची प्रतिमा के साथ डीडवाना स्थित दोजराज गणेश मंदिर करीब 160 साल पुराना है। इस मंदिर के पुजारी रामावतार दाधीच के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना उस समय हुई जब निरंजनी संप्रदाय के संत यहां से गुजर रहे थे और नमक झील स्थित पाढ़ाय माता मंदिर की ओर जा रहे थे।

कैसे बनी थी गणेश जी की प्रतिमा

इस मार्ग में रुकते हुए, दुन्दराज नामक एक साधु ने मोण मटकी (बड़ी मटकी), मुरड़ और मिट्टी से भगवान गणेश की एक बड़ी प्रतिमा बनाई। इस प्रतिमा की खासियत यह थी कि इसे स्थानीय संसाधनों से बहुत ही साधारण तरीके से बनाया गया था, लेकिन इसकी धार्मिक महत्वता अत्यधिक थी। जब डीडवाना के लोगों को इस प्रतिमा की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत इस स्थान पर भगवान गणेश की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई।