Rajasthan by-election: गठबंधन की उम्मीदों पर पानी, बीएपी ने कांग्रेस से किया किनारा, चुनाव से पहले यूं बिगड़े समीकरण
राजस्थान उपचुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, बीएपी ने गठबंधन तोड़ते हुए सलूंबर और चौरासी सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जानें कैसे इस फैसले से कांग्रेस के समीकरण बिगड़ गए हैं।
राजस्थान उपचुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका मिला है। जिस गठबंधन की राह वो देख रही थी, अब टूट चुकी है। लोकसभा चुनाव में उसकी सहयोगी पार्टी रही बीएपी ने दी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। चौरासी और सलूंबर सीट पर राजकुमार रोत की पार्टी अनिल कटारा और जितेश कटारा को मैदान में उतारा है। बता दें, बीएपी का ये दांव कांग्रेस के हित में बिल्कुल भी नहीं है। यहां पर समीकरण बिगड़ गए हैं। कांग्रेस ने बीएपी को लोकसभा चुनाव में उसके समर्थन की दुहाई भी थी लेकि बीएपी ने एक न सुनी और उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। इस दांव के बाद गठबंधन की चर्चा पर ब्रेक लग गया है।
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गठबंधन तलाश रही थी कांग्रेस
गौरतलब है, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से राजकुमार रौत ने बांसवाड़-डूंगरपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। हालांकि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद दोनों दलों के बीच दरार पैदा होने लगी थी। बीएपी का ध्यान स्थानीय मुद्दों पर था तो कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तर पर। कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी हो लेकिन रोत से लेकर आरएलपी तक दोनों कांग्रेस को एक लाइन में लगाते नजर आए हैं। वहीं, जब भी गठबंधन से जुड़ा सवाल काग्रेंस प्रदेश नेतृत्व से पूछा गया तो वह आलकमान का फैसला बताकर किनारा कर लेते थे लेकिन अब बीएपी की घोषणा ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
कांग्रेस नेता ने साधा निशाना
बीएपी के अलग चुनाव लड़ने पर रघुवीर सिंह मीणा का रिएक्शन सामने आया था। उन्होंने कहा कि सलूंबर सीट से चाहे कोई कितनी कोशिश कर लें लेकिन ये सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी। बीएपी के लिए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीट छोड़ दी थी लेकिन जब उनकी बारी आई तो वह पीछे हट गए। अगर वह मानते हैं राजनीति में जुबान मायने रखती है तो वह सलूंबर सीट छोड़ देंगे। हालांकि इस जुबान को किनारे रखथे हुए बीएपी ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। वहीं इस बयान पर सलूंबर से बीएपी प्रत्याशी जितेश कटारा ने कहा था कि अगर कांग्रेस को लगता है उनका जनाधार गिर गया है तो वह गठबंधन करें। गठबंधन वही दल करें जिन्हें लगता है उनका कोई जनाधार नहीं है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दिया समर्थन
गौरतलब है, लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता महेंद्र जीत मालवीय ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। पहले तो कांग्रोस ने अरविंद डामोर को प्रत्याशी बनाया लेकिन रोत की लोकप्रियता को देखते हुए उसने बीएपी को समर्थन दे दिया। नतीजन बीएपी प्रत्याशी राजकुमार रोत ने धमाकेदार जीत हासिल की थी।