Rajasthan News; उपचुनाव में हार, डोटासरा पर गिरेगी गाज ! जानें कांग्रेस में मची उथलपुथल का कारण
राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में बदलाव की संभावना। क्या डोटासरा की जगह पायलट को कमान मिलेगी? जानिए हार के कारण, आगामी रणनीति और कांग्रेस का भविष्य।
राजस्थान उपचुनाव के बाद बीजेपी जीत की खुशी मना रही है तो कांग्रेस हार पर मंथन कर रही है। कभी सात में चार सीटों पर काबिज कांग्रेस 1 एक सीट पर सिमट कर रह गई। ऐसे में क्या आने वाले दिनों में राजस्थान कांग्रेस में बड़ बदलाव हो सकता है या फिर कोई अलग रणनीति अपनाई जा सकती है। डोटासरा का सियासी भविष्य क्या होगा, कांग्रेस ने टिकट बांटने में गलती की या फिर चुनावों को हल्के में लिया। गलतियों से लेकर आगामी भविष्य तक राजस्थान कांग्रेस से जुड़े हर पहलू हम आपको बताएंगे।
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1) राजस्थान में उपचुनाव थे लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट महाराष्ट्र चुनावों में व्यस्त थे। यही वजह रही पार्टी के शीर्ष नेता जमीनी स्तर पर नहीं उतरे। बल्कि बीजेपी से खुद सीएम भजनलाल शर्मा ने कमान संभाली और उन्होंने हर सीट पर दो-दो जनसभाएं की।
2) लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में थी वह जीत जायेगी। जिसने उसकी नैया डुबाई। शुरू से लेकर आखिर तक पार्टी ये तय नहीं कर पाई किस चेहरे पर दांव लगाना है। जो उसकी हार का सबसे बड़ा कारण बनी। बीजेपी मास्टर प्लान के साथ मैदान में थी। हर तरफ सरकार के विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाया जा रहा था लेकिन कांग्रेस ने नेता प्रचार तो दूर स्ट्रेटजी बनाते भी नजर नहीं आये।
3) सात सीटों में से तीन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। बीजेपी ने हर सीट के लिए एक-एक प्रभारी नियुक्त किया था लेकिन कांग्रेस ने इन सब में बहुत पीछे रही। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं उपचुनाव में करारी हार के बाद 2028 के चुनावों से पहले राजस्थान कांग्रेस की रूपरेखा बदल जायेगी और कमान डोटासरा नहीं बल्कि पायलट को सौंपी जाएगी।
4) राजस्थान उपचुनाव में परिवारवाद को जनता ने नकार दिया है। हालांकि सलूंबर सीट पर बीजेपी से दिवंगत नेता अमृतलाल मीणा की पत्नी शांति मीणा ने जीत हासिल की है। इसके अलावा रामगढ़ में कांग्रेस ने दिवंगत विधायक जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को उतारा था पर हार का सामना करना पड़ा, इसी तरह दौसा से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा चुनाव हार गए।