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Rajasthan News: कलेक्टर की चुप्पी, पुलिस की ढिलाई, नरेश मीणा कांड की असल कहानी जानें यहां

नरेश मीणा के "थप्पड़ कांड" के बाद राजस्थान पुलिस की कार्यवाही पर उठ रहे सवाल! क्या पुलिस प्रशासन की लापरवाही से ये घटना हुई? कलेक्टर की भूमिका और इंदिरा देवी बावरी के मामले से तुलना। जानिए पूरी खबर।

Rajasthan News: कलेक्टर की चुप्पी, पुलिस की ढिलाई, नरेश मीणा कांड की असल कहानी जानें यहां

खबर राजस्थान से है। जहां नरेश मीणा के थप्पड़ कांड की गूंज चार दिन बाद भी सुनाई दे रही है। भले इस वक्त वह जेल में बंद हो लेकिन सियासी गलियारों में इसकी चर्चा जोरों-शोरों से हो रही है। नरेश मीणा ने जिस तरह अधिकारी पर हाथ उठाया वह बिल्कल गलत है लेकिन कई लोग नरेश मीणा के समर्थन में इसलिए भी खड़े हैं क्योंकि उन्होंने जनता के लिए आवाज उठाई है। फिलहाल पुलिस कुछ भी कहे लेकिन इस बात से भी बिल्कुल इन्कार नहीं किया जा सकता कि ये पुलिस प्रशासन का सबसे बड़ा फेलियर है। प्रशासन का बयान सामने आया और कहा कि उन्हें इसकी खबर पहले ही लग गई थी तो समय रहते नरेश मीणा को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। वह किस चीज का इंतजार कर रही थीं। अगर नरेश मीणा को समय रहते गिरफ्तर कर लिया जाता तो ऐसे हालात बिल्कुल नहीं बनते। 

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समरावता में कलेक्टर का फेलियर 

थप्पड़ कांड में नरेश मीणा पर जितना सवाल उठाये जा रहे हैं उतने ही प्रश्न पुलिस प्रशासन पर भी खड़े हो रहे हैं। कलेक्टर सौम्या झां ने बयानों में कहा कि  नरेश मीणा को कई बार फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। प्रशासन की जिम्मेदारी अगर चुनाव सकुशल संपन्न कराने की होती है। तो उससे भी बड़े जिम्मेदारी इलाके में लॉ एंड ऑर्डर ने को मेंटेन करना भी होता है। एक तरफ नरेश मीणा पर कार्रवाई की गई है तो दूसरी तरफ खींवसर में पूर्व विधायक इंदिरा देवी बावरी के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई भी चर्चा का विषय बनी थी।

प्रशासन की कार्रवाई पर उठते सवाल

बहरहाल, नरेश मीणा थप्पड़ कांड पहला ऐसा मामला नहीं है,जब पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हो। इससे पहले खींवसर में आर्दश आचार संहिता मामले को लेकर पूर्व विधायक इंदिरा देवी बावरी के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की थी। जहां शिकायत में लिखा था कि वह खींवसर न तो विधायक न मतदाता बावजूद इसके उन्होंने गाड़ी पर विधायक लिखकर प्रचार किया था। इतना ही नहीं बावरी को पुलिस ने चुनाव प्रचार न करने का आदेश भी दिया था। ऐसे में पुलिस की दोहरी कार्रवाई पर सवाल उठना भी लाजमी है। सवाल यही पूछा जा रहा है, जैसे मामला हाथ से निकला तुरंत नरेश मीणा को गिरफ्तार कर 60 लोगों पर कार्रवाई की गई। यही कार्रवाई अगर पहले कर ली जाती है इस तरह की घटना से बचा जा सकता था। बहरहाल, नरेश मीणा के साथ सात सीटों पर आने वाले परिणामों का इंतजार किया जा रहा है। 23 तारीख को सात सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा।