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एकमात्र ऐसा मंदिर जहां कृष्ण के साथ विराजती हैं मीरा

राजस्थान और यहां के रजवाड़ों का इतिहास हमेशा से अमर रहा है. यहां के किस्से कहानियां ऐसे हैं जिनका कोई जोड़ नहीं है. एक ऐसी ही कहानी थी मीराबाई की,या यूं कहें कि प्रेम कहानी मीराबाई की. कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो चुकी मीरा की कहानी आज भारत का बच्चा- बच्चा जानता है, उनकी भक्ति और प्रेम की मिसाल दी जाती है.

एकमात्र ऐसा मंदिर जहां कृष्ण के साथ विराजती हैं मीरा

राजस्थान और यहां के रजवाड़ों का इतिहास हमेशा से अमर रहा है. यहां के किस्से कहानियां ऐसे हैं जिनका कोई जोड़ नहीं है. एक ऐसी ही कहानी थी मीराबाई की,या यूं कहें कि प्रेम कहानी मीराबाई की. कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो चुकी मीरा की कहानी आज भारत का बच्चा- बच्चा जानता है, उनकी भक्ति और प्रेम की मिसाल दी जाती है. दुनिया में कई भक्त ऐसे रहे हैं जो अपनी भक्ति की शक्ति के बल पर अमर हो गए और इन्हीं में से एक हैं मीरा, लेकिन सवाल ये कि क्या भगवान और भक्त की पूजा भी एक साथ हो सकती है, इसी का जवाब है राजस्थान का एक मंदिर जो बयां करता है भक्त और भगवान के रिश्ते को. हम बात कर रहे हैं आमेर के जगतशिरोमणि मंदिर की.

आमेर में है कृष्ण और मीरा का मंदिर

भगवान कृष्ण के वैसे तो कई दीवाने भक्त हुए हैं, लेकिन कृष्ण के प्रेम में रंगने की बात अगर होगी तो शायद राधा के बाद नाम आता है मीरा बाई का. वो मीराबाई जो कृष्ण के प्रेम में जहर तक पी गईं. जयपुरके पास ही आमेर कस्बा है. इस कस्बे में जगतशिरोमणि मंदिर है, जिसकी सुंदर नक्काशी और भव्यता देखते ही बनती है. वैसे तो भगवान कृष्ण के हर मंदिर में उनके साथ राधिका होती हैं, लेकिन इस मंदिर की बात अलग है. जगतशिरोमणि मंदिर ऐसा मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण के साथ मीरा बाई की प्रतिमा स्थापित है. दूर- दूर से यहां लोग भगवान कृष्ण और मीरा बाई के दर्शन के लिए आते हैं.

महारानी कनकावती ने कराई स्थापना

जगतशिरोमणि मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम की पत्नी महारानी कनकावती ने करवाया था. मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान कृष्ण की वहीं मूर्ति स्थापित है जिसको मीरा बाई पूजा करती थीं. मंदिर का निर्माण 1599 ई. में प्रारंभ हुआ था और 1608 ई. में इस मंदिर का निर्माण पूरा हुआ. इस मंदिर को दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प में बनाया गया है. कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में करीब नौ साल का समय लगा था. मंदिर में अद्भुत कलाकृतियों का नमूना देखने को मिलता है. मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है. साथ ही इस मन्दिर को सफेद और काले संगमरमर के साथ पीले पत्थरों के प्रयोग से तैयार किया गया. मंदिर के गर्भगृह में राधा, गिरिधर, गोपाल और विष्णु की मूर्तियां स्थापित हैं.