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कानपुर का ‘मॉनसून’ वाला मंदिर, मौसम विभाग से पहले मंदिर करता है बारिश की भविष्यवाणी

इस वक्त पूरे प्रदेश में चिलचिलाती और झुलसा देने वाली गर्मी पड़ रही है. हर किसी के जहन में केवल एक ही सवाल है कि आखिर मॉनसून की दस्तक कब होगी और कब लोगों को इस भीषण गर्मी से राहत मिलेगी.

कानपुर का ‘मॉनसून’ वाला मंदिर, मौसम विभाग से पहले मंदिर करता है बारिश की भविष्यवाणी

लेकिन क्या आपको पता है कि कानपुर के घाटमपुर में भगवान जगन्नाथ का एक ऐसा मंदिर है जो मॉनसून को लेकर सटीक भविष्यवाणी करता है और बताता है कि इस बार के मॉनसून के मौसम में कितनी बारिश होगी.

मंदिर की गुंबद का चमत्कारी पत्थर !
बता दें कि कानपुर के घाटमपुर के भीतरगांव विकासखंड के बेहटा बुजुर्ग गांव में भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर में गुंबद के चमत्कारी पत्थर से टपकती बारिश की बूंदों से आने वाले मॉनसून की घोषणा की जाती है. इस पत्थर की सबसे खास बात यह है कि ये पत्थर भीषण गर्मी के मौसम में तो गीला रहता है. लेकिन मॉनसून शुरू होने के बाद ये पत्थर खुद-ब-खुद सूख जाता है. दूर- दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन को आते हैं. यहां के क्षेत्रीय किसान भी मंदिर की छत से बूंदे टपकने का इंतजार करते हैं.

इस बार औसत बारिश के आसार 
भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर मानसूनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. आसपास गांव के लोग मंदिर के गर्भगृह की छत में लगे विचित्र रहस्यमयी पत्थर से टपकने वाली बूंदों से होने वाली बरसात का अनुमान लगा कर ही अपने कृषि कार्यों में जुट जाते हैं. पुजारी के पी शुक्ला ने बताया कि मंदिर की विशेषता है कि यह बारिश होने की सूचना एक पखवाड़े पहले ही दे देता है और बारिश शुरू होने पर पत्थर से बूंदों का टपकना बंद हो जाता है. पुजारी केपी शुक्ल और ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर से पानी टपकना शुरू हो गया है. बूंदों के आकार से इस बार औसत बारिश होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं.

वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए गुत्थी
जगन्नाथ मंदिर का रहस्य आज तक लोगों के लिए रहस्य ही बना हुआ है हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए तमाम प्रयास हो चुके हैं लेकिन तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी मंदिर के निर्माण और टपक़ने वाली बूंदों का रहस्य पुरातत्व वैज्ञानिक तथा खोजकर्ता नही लगा सके. ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था. इसका निर्माण किसने कराया और कब कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है. बौद्ध मठ जैसे आकार वाले मंदिर की दीवारे करीब 14 फीट मोटी है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ,बलदाऊ बहन सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित है. भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों को मुख्यमूर्ति के पृष्ठ भाग में उकेरा गया है मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है.