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Delhi Pollution: दिल्ली के लोगों की बढ़ सकती है परेशानी..प्रदूषण से हाफ रहा दिल्ली-NCR, इस जगह कराई गई ‘आर्टिफिशियल रेन’

क्लाउड सीडिंग मौसम परिवर्तन की एक वैज्ञानिक विधि है, जिसके तहत कृत्रिम रूप से बारिश कराई जाती है। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के दौरान बादलों के बीच से छोटे-छोटे विमान उड़ाए जाते हैं।

Delhi Pollution: दिल्ली के लोगों की बढ़ सकती है परेशानी..प्रदूषण से हाफ रहा दिल्ली-NCR, इस जगह कराई गई ‘आर्टिफिशियल रेन’

दिल्ली-एनसीआर में पहली बार कृत्रिम बारिश कराई गई, जो प्रदूषण के कारण आधी है। यह बारिश गुरुग्राम के सेक्टर-82 स्थित डीएलएफ कैंपस में की गई। बता दें कि इस समय दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण लोग परेशान हैं। लोगों को आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत आदि बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से किए जा रहे तमाम इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की हवा बेहद खराब गुणवत्ता में दर्ज की जा रही है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने गुरुवार सुबह 9 बजे दिल्ली के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर एक्यूआई 367 से ऊपर दर्ज किया, जो चिंता का विषय है। एक्यूआई का स्तर अब 400 के करीब पहुंच गया है। फिलहाल दिल्ली में ग्रेप-2 लागू है। अलग-अलग स्टेज के हिसाब से अगर एक्यूआई 400 के पार होता है तो सीएक्यूएम ग्रेप-3 लागू करने के निर्देश जारी करता है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि जल्द ही दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप-3 लागू हो सकता है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब'

दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब'

अगर दिल्ली की बात करें तो गुरुवार सुबह दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, नौ केंद्रों - आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, जहांगीरपुरी, मुंडका, रोहिणी, सोनिया विहार, विवेक विहार, वजीपुर में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की गई। AQI- 0-50 को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मध्यम, 201-300 को खराब, 301-400 खराब 401-500 को गंभी माना जाता है।

प्रदूषण के स्तर को देखते हुए गुरुग्राम के सेक्टर-82 स्थित डीएलएफ कॉम्प्लेक्स में कृत्रिम बारिश कराई गई। पिछले बुधवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस महीने क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम वर्षा कराने की योजना अमल में ला सकती है।

कृत्रिम बारिश क्या होती है?

क्लाउड सीडिंग मौसम परिवर्तन की एक वैज्ञानिक विधि है, जिसके तहत कृत्रिम रूप से बारिश कराई जाती है। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के दौरान बादलों के बीच से छोटे-छोटे विमान उड़ाए जाते हैं, जो वहां सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और सूखी बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) गिराते हैं। इसके बाद बादलों में पानी की बूंदें जमा होने लगती हैं, जो बारिश के रूप में ज़मीन पर गिरती हैं। क्लाउड सीडिंग से होने वाली कृत्रिम बारिश सामान्य बारिश से कहीं ज़्यादा तेज़ होती है।