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चार सालों में गलवान ने उड़ाये चीन के चिथड़े, खूनी संघर्ष को चार साल पूरे

पूर्वी लद्दाख में गलवान-चीन के बीच हुए खूनी संघर्ष को चार साल पूरे हो रहे हैं। इन चार सालों में गलवान ने चीन के चिथड़े उड़ा कर रख दिये है।दोनों देशों के बीच लगातार हालात तनावपूर्ण बनें हुए हैं।

चार सालों में गलवान ने उड़ाये चीन के चिथड़े, खूनी संघर्ष को चार साल पूरे

पूर्वी लद्दाख में गलवान-चीन के बीच हुए खूनी संघर्ष को चार साल पूरे हो रहे हैं।इन चार सालों में गलवान ने चीन की हालत खराब करके रख दी है।दोनों देशों के बीच गतिरोध कितने गहरे स्तर पर पहुंच चुका है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि नरेंद्र मोदी ने जब अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण ली, तो पुतिन-बाइडन समेत दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्षों ने उन्हें बधाई दी, लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बधाई तक नहीं दी।

गलवान झड़प में हुआ भरोसे का बड़ा नुकसान

सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल वीआर भूषण का मानना है कि गलवान झड़प में सबसे बड़ा नुकसान भरोसे का हुआ है। जिसे 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद दोबारा हासिल करने में दशकों लग गए थे। डोकलाम में भी 73 दिनों के गतिरोध के बाद हालात सामान्य हो गए थे और संबंध पटरी पर आ गए थे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे भी उसके बाद खूब हुए। लगा कि अब दोनों देश मिल कर संबंध बहाली पर काम करेंगे और आर्थिक तौर पर मजबूत होंगे। लेकिन 2020 की गर्मियों में हुई उस झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच कम से कम 21 दौर की कमांडर स्तर की वार्ता और 13 दौर की विदेश स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं। जिसके बाद पांच टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी संभव हो पाई, जिनमें पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट्स 15 और 17ए, और गलवान घाटी। लेकिन दो अहम जगहों को लेकर अभी भी गतिरोध बरकार है। इनमें देपसांग प्लेंस या देपसांग मैदानी क्षेत्र भी शामिल है, जिसके उत्तर में भारत का एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) स्थित है।

क्या हुआ था गलवान में ?

15 जून 2020 की रात में भारतीय और चीनी सेना के बीच गलवान घाटी में एलएसी पर हिंसक झड़प हुई थी। भारत की तरफ से इस झड़प में एक कमांडर समेत 20 सैनिकों की मौत हुई थी। हालांकि, चीन के कितने सैनिक मारे गए, इसे लेकर चीन ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी।भारत की तरफ से दावा किया गया कि इस झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं। बाद में चीन ने कहा कि उसके 4 सैनिक गलवान में मारे गए थे।

कैसे शुरू हुआ गलवान-चीन विवाद

एलएसी पर कुछ इलाकों को लेकर विवाद है। चीन इन हिस्सों पर कब्जा करने की कोशिश करता है। चीन अब एक रणनीति के तहत लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, पहले से मुस्तैद भारतीय जवानों ने मोर्चा संभाला। दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए हैं।  गोलीबारी की बात सामने नहीं आ रही है। अब तक धक्कामुक्की की खबर है। चीन के करीब 300 सैनिक यहां आए थे। इससे ज्यादा की संख्या में भारतीय सैनिक मौजूद थे। 17 हजार फीट की ऊंचाई पर ये घटना हुई है। घायलों में चीनी सैनिकों की संख्या ज्यादा है। 2006 के बाद चीनी सेना पहले से इस तरह की नाकाम कोशिशें करती आई है. इसी तरह का तनाव सिक्किम में भी बना हुआ है।

कैसे शुरू हुआ विवाद

4 दशक में पहली बार भारच और चीन इस तरह से आमने सामने आए थे। चीन गलवान हिंसा में मारे गए सैनिकों की संख्या छिपाता रहा। लेकिन उसने अपने चार सैनिकों को मरणोपरांत सम्मानित करने का ऐलान किया था। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने चार सैनिकों की मौत की बात कबूली थी। उसने कहा था कि इनमें से जूनियर सार्जेंट वांग झुओरान की मौत डूबने से हुई थी. बाकी तीन की संघर्ष के दौरान।

नदी में बहे थे 38 चीनी सैनिक

रिपोर्ट में चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Weibo के हवाले से कहा गया है कि उस रात कम से कम 38 चीनी सैनिक डूब गए थे। जबकि चीन ने सिर्फ 4 सैनिकों की मौत की बात कबूली। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस रात वास्तव में क्या हुआ था, किस वजह से झड़प हुई। इसके बारे में बहुत सारे फैक्ट बीजिंग द्वारा छिपाए गए।